राजस्थानी कला व संस्कृति की महान अदाकारा संगीता माहेश्वरी

sangita-राजकुमार शर्मा- मदनगंज-किशनगढ़ । देश-विदेशों में राजस्थानी संस्कृति की महक फैलाकर प्रदेश का गौरव बढ़ाने वाली अदाकारा व एलबम कलाकार संगीता माहेश्वरी का मानना है कि प्रदेश से बाहर के लोग जहां यहां की कला व संस्कृति के कायल है उसको अपना रहे है वहीं हमारे यहां पर कला की कद्र नहीं होती है। अपनी एक हिन्दी फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में आई मॉडलिंग व नृत्य कला की प्रशिक्षिका बीकानेर की मूल निवासी संगीता माहेश्वरी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राजस्थानी संस्कृति को जिन्दा रखना है तो राज्य सरकार को गुजरात व पंजाब प्रान्तों की तरह हर संभव सहयोग देना होगा। हिन्दी, राजस्थानी, गुजराती फिल्मों में अभिनय व नृत्य कला का डंका बजाने वाली व बचपन से ही राजस्थानी कला से प्रभावित व उसको घर-घर पहुंचाने का सपना संजोने वाली इस कलाकार का कहना है कि यहां के कलाकारों के संघर्ष के चलते ही आज मारवाडिय़ों की पहचान पूरे विश्व में बनी है। अभिनयकला, लोक नृत्य कला की हर गहराईयों व ऊंचाईयों को छूने में कोई कसर नहीं छोडऩे वाली संगीता माहेश्वरी ने कहा कि हिन्दी फिम जगत की तरह राजस्थानी फिल्म इण्डस्ट्री को भी उद्योग का दर्जा दिया जाना चाहिए। अपनी सफलता का Ÿोय अपने पापा सुशील कुमार दमानी को देते हुए इस अदाकारा ने बताया कि राजस्थान में भी फिल्म स्टूडियों स्थापित होना चाहिए व सभी राजस्थानी फिल्मों एलबमों व नाटय मंचो को टैक्स फ्री करके ज्यादा सब्सिडी देने के साथ राजस्थान पर्यटन निगम द्वारा जगह उपलब्द करवानी चाहिए। अभिनय क्षमता विरासत में नहीं मिलने के बावजूद नृत्य कला की और आकर्षण के सवाल पर संगीता ने बताया कि बचपन से ही नाटकों व नृत्यों के कार्यक्रमों में भाग लेती रहती थी व अधिकतर प्रथम भी आती रहती थी व नृत्य कला का प्रोत्साहन परिजनों के सहयोग से संभव हुआ। राजस्थान काा मन्दिर से शुभारम्भ करने वाली व 7०० से भी ज्यादा स्टेज शो कर चुकी संगीता का कहना था कि अपने अभियन और कला के प्रति रूझान के कारण ही मैं राजस्थान की कला को वीडियों, एलबम कथा चित्रण के जरिए प्रस्तुत कर पाई। उन्होंने कहा कि हमारे यहां कि कला संस्कृति इतनी महान व खूबसूरत है कि इसका परचम फहराना मेरी जिन्दगी का उद्देश्य बना हुआ है। राजस्थान में अभिनय क्षेत्र में ज्यादा नामचीन कलाकार नहीं उभरने के सवाल को काटते हुए संगीता माहेश्वरी ने कहा कि इस धरती ने तो देश में कलाकारो की खेप दी है। राजस्थान की प्रतिभाओं में लगन, चाहत और सफलता का आकाश छूने की तमन्ना बहुत अधिक है परन्तु उचित मंच के अभाव में कला निखर नहीं पाती है। राजस्थानी भाषा को व्यवहार में लाने की सदैव वकालत करने वाली इस अदाकारा का मानना है कि मारवाडिय़ों को भी अपनी ही भाषा में बात कर राजस्थान का परचम फहराना चाहिए।
अब तक के एलबम

राजकुमार शर्मा
राजकुमार शर्मा

3०० से भी ज्यादा हिन्दी, राजस्थानी एलबम में अपनी नृत्य कला व अभिनय का जनवा बिखेर चुकी संगीता माहेश्वरी के सुपरहिट एलबमों में छोरी नखराली, आई मिलन की रूत, कन्दोरो घड़ा दे, बिच्छुड़ों, मेहन्दी रंग राचण्ी, मैं तो जावा परदेशी, शहर की छोरी, म्हारी घूमर नखराली, बीनणी रो फेर पत्र भारी, रहे वही धार्मिक एलबमों में हरिनाम, प्रकट दधिमती यात्रसा, बाबा चमत्कारी, होली लूर गीत, चान्दियों, रामदेवजी मिलिया, भंवालगढ़ री मांई, मैं अमर चून्दड़ी ओढ़ू, भक्ति में शक्ति बन्ना शहर ने भी प्रमुख प्रसिद्धी पाई।

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