पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को अदालत ने दी मोहलत

पाकिस्तान की अदालत ने देश के प्रधानमंत्री राजा अशरफ को राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ दायर भ्रष्टाचार के मुकदमे फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने के लिए 18 सितंबर तक का वक्त दिया है.

इससे पहले भी अदालत ने पत्र लिखने का आदेश दिया था जिसका पालन ना करने पर प्रधानमंत्री को अदालत की अवमानना का नोटिस भेजा गया था.

इसका जवाब देने के लिए ही प्रधानमंत्री आज सर्वोच्च अदालत की पांच सदस्यीय पीठ के सामने पेश हुए.

आज जस्टिस आसिफ सईद खोसा ने कहा, “अदालत आना जाना ही उसे इज़्ज़त देना नहीं होता, बल्कि उसके आदेश पर अमल करना ज़रूरी है.”

प्रधानमंत्री परवेज़ अशरफ ने इस मुद्दे पर परामर्श के लिए अदालत से 4-6 हफ्तों का समय मांगा था पर उन्हें अब 18 सितंबर को अदालत में पेश होना होगा.

महत्वपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में पूर्व प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी को अवमानना का नोटिस दिया था और बाद में उन्हें इसका दोषी करार देते हुए प्रधानमंत्री पद के अयोग्य ठहराया था.

सहयोगी दलों का समर्थन

रविवार रात को हुई एक बैठक में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने एक बैठक में ये फैसला लिया कि प्रधानमंत्री अदालत के समक्ष पेश हों.

रविवार को डेढ़ घंटे चली इस बैठक में कानून मंत्री फारूक नाइक ने सभी नेताओं को सरकार के खिलाफ अदालत में चल रहे मुकदमों का सामना करने के विकल्प सुझाए.

अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख और देश के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ने ये फैसला लिया कि प्रधानमंत्री अदालत में पेश हों.

सुनवाई के बाद गृहमंत्री रहमान मलिक ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि परामर्श जितना लंबा होगा, परिणाम उतने ही अच्छे होंगे.

वहीं सूचना मंत्री क़मर कायरह ने कहा, “हम निर्णय मानने के लिए प्रतिबद्ध हैं उनसे सहमत होने के नहीं हैं”

क्या है मामला

पाकिस्तान की अदालत में पेश पुराने दस्तावेजों के मुताबिक स्विट्ज़रलैंड के बैंक के खातों में क़रीब छह करोड़ डॉलर ऐसे जमा हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वह राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी को ठेकों के बदले में दी गई रकम है.

ज़रादरी पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने पत्नी बेनजीर भुट्टो के प्रधानमंत्री रहते हुए रिश्वत ले कर स्विस कंपनियों को ठेके दिए थे.

बाद में परवेज़ मुशर्रफ और आसिफ अली ज़रदारी की स्वर्गीय पत्नी बेनजीर भुट्टो के बीच हुए एक राजनीतिक समझौते के चलते ज़रदारी के खिलाफ़ लगे गए तमाम आरोप वापस ले लिए गए.

साथ ही पाकिस्तान की सरकार ने स्विस अधिकारियों से यह रकम वापस लेने के प्रयास भी बंद कर दिए.

 

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