जब पूर्व सैनिक बना सुनहरे बालों वाली सुंदरी

सेक्स चेंज यानी लिंग परिवर्तन भले ही अब भी बहस का मुद्दा हो, लेकिन इस बीच दुनिया में पहले लिंग परिवर्तन को 60 साल पूरे हो रहे हैं.

वर्ष 1952 में हुए इस पहले लिंग परिवर्तन में ऑपरेशन के साथ-साथ हार्मोन थैरेपी भी की गई थी

उस वक्त अमरीका के एक अखबार ने इस खबर को सुर्खी दी, “पूर्व सैनिक बन गया सुनहरे वालों वाली सुंदरी!”

न्यूयॉर्क के एक शांत से दिखने वाले लड़के जॉर्ज योर्गेंसन ने अमरीका को झकझोर दिया, जब वो डेनमार्क से ग्लैमरस क्रिस्टीन बन कर लौटे. दुबई पतली काया वाली 27 वर्षीय क्रिस्टीन फर का कोट पहने हुए न्यूयॉर्क के हवाई अड्डे पर उतरीं.

योर्गेंसन का बचपन बहुत अच्छा बीता लेकिन किशोर अवस्था में ही उन्हें विश्वास हो गया है कि वो एक गलत शरीर में क़ैद हैं.

‘ग़लत शरीर में क़ैद’

क्रिस्टीन पर 1980 के दशक में फिल्म बनाने वाले एक डैनिश डॉक्यूमेंट्री निर्माता और डॉक्टर टीट रिट्जाऊ का कहना है, “उस वक्त की तस्वीरें देखे तो योर्गेंसन पुरूष समलैंगिक लगते थे, लेकिन उन्होंने खुद को कभी समलैंगिकता से नहीं जोड़ा. वो खुद को महिला ही मानते थे जो एक पुरूष के शरीर में कैद थे.”

योर्गेंसन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि जब वो जॉर्ज की तरह जिंदगी जी रही थीं, तो पुरूषों के प्रति आकर्षण महसूस करने के बावजूद उन्हें बहुत बुरा लगता था जब पुरूष उन्हें यौन संबंधों के प्रस्ताव देते थे.

1940 के दशक में उन्होंने कुछ समय सेना में भी बिताया. योर्गेंसन को तभी एक डैनिश डॉक्टर क्रिस्टियान हैमबर्गर का लेख पढ़ने को मिला कि वो जानवरों के हार्मोन पर परीक्षण कर लिंग थैरेपी प्रयोग कर रहे हैं.

चूंकि योर्गेंसन के माता-पिता डैनिश मूल के थे तो उनके डेनमार्क जाने पर किसी को आपत्ति भी नहीं हुई. 1950 में उन्होंने डेनमार्क का दौरा किया और किसी ये नहीं बताया कि वहां क्यों जा रहे हैं.

योर्गेंसन ने एक बार कहा था, “मुझे थोड़ी सी घबराहट थी क्योंकि उस वक्त बहुत सारे लोगों ने कहा कि मैं पागल हूं. लेकिन डॉक्टर हैमबर्गर महसूस करते थे कि मेरे साथ कुछ अजीब बात है.”

पहले भी हुई कोशिश

एक साल तक चली हार्मोन थेरेपी के बाद योर्गेंसन के ऑपरेशन शुरू हुए जिनका मकसद उनके पुरूष जननांगों को महिलाओं जननांगों में परिवर्तित करना था.

इन ऑपरेशनों के दौरान निश्चित तौर पर क्या हुआ, ये तो पता नहीं है लेकिन संभव है कि हैमबर्गर और उनकी टीम कई दशक पहले इस बारे में कुछ सर्जनों की कोशिश के आधार पर आगे बढ़े होंगे.

बताया जाता है कि लिंग परिवर्तन की पहली कोशिश 1930 के दशक में बर्लिन में एक मरीज लिली एल्बे पर हुई. लेकिन उस वक्त ये कोशिश नाकाम रही थी और एल्बे की मौत हो गई थी. बहरहाल इस दौरान मिले सबक डैनिश टीम के काम जरूर आए होंगे.

योर्गेंसन पर डॉक्यूमेंटरी बनाने वाले टीट रिट्जाऊ का कहना है, “स्पष्ट तौर पर ये सर्जरी सफल रही या कहें कम से कम योर्गेंसन को इससे संतुष्टि हुई.”

क्रिस्टीन योर्गेंसन ने अपनी शारीरिक संरचना के बारे में कभी ज्यादा कुछ नहीं बताया, लेकिन अपने साक्षात्कारों में उन्होंने कुछ बुनियादी बातों के बारे में चर्चा जरूर की.

वर्ष 1958 में एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था, “बेशक मैं बच्चा पैदा नहीं कर सकता हूं कि लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं है कि मैं प्राकृतिक सहवास न कर सकूं.”

शानदार जिंदगी

अपने लिंग परिवर्तन के बाद उन्होंने अपने माता-पिता को लिखा था, “कुदरत की गलती को मैंने सुधार दिया है. और अब मैं आपकी बेटी हूं.” उनके परिवार ने भी उनका साथ दिया.

अमरीका लौटने पर क्रिस्टीन को हाथों-हाथ लिया गया. हॉलीवुड ने भी उन्हें बांहे फैलाकर स्वीकार किया. उन्हें नाटकों और फिल्मों के प्रस्ताव मिलने लगे. उन्हें बड़ी पार्टियों में आने की दावतें दी जाने लगीं.

वो अपनी जिंदगी में खासी सफल रहीं. उनका पहला रिश्ता मंगनी के बाद टूट गया जबकि दूसरा संबंध रजिस्ट्रार के दफ्तर तक चल पाया क्योंकि योर्गेंसन को इसलिए शादी की अनुमति नहीं दी गई क्योंकि उनके जन्म प्रमाण पत्र में वो एक पुरूष थे.

टीट रिट्जाऊ का कहना है कि योर्गेंसन ने अकेलेपन के बावजूद अच्छी जिंदगी गुजारी. उनका 62 वर्ष की आयु में 1989 में निधन हुआ.

अपनी मौत से एक साल पहले वो डेनमार्क में उन डॉक्टरों से मिलने गईं जिन्होंने उनका ऑपरेशन किया था. उस समय मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनका मामला एक मील का पत्थर था.

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