सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून पर झुकी सरकार

सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून के संबंध में नए दिशा निर्देश जारी किए हैं.

ये दिशा-निर्देश क़ानून में मौजूद एक विशेष अनुच्छेद 66 (ए) से संबंधित हैं जिसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति को इंटरनेट के माध्यम से द्वेष फ़ैलाने वाला संदेश भेजने के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है.

नए दिशा-निर्देश के तहत इस अनुच्छेद के तहत पुलिस केस दर्ज किए जाने का निर्णय डिप्टी कमिश्नर या उससे ऊंचे पद पर मौजूद अधिकारी ही ले सकते हैं.

महानगरों में इस क़ानून के तहत केस दर्ज किए जाने के लिए उप पुलिस महानिरीक्षक से पहले से सहमति लेना ज़रूरी होगा.

बैठक

दूरसंचार और आईटी मंत्री कपिल सिब्बल ने गुरूवार को दिल्ली में इसी मामले पर नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं से भेंट की थी.

इन लोगों ने 66 (ए) पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था. मुलाक़ात के दौरान इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बातचीत हुई.

सरकार ने नए दिशा-निर्देशों के संबंध में राज्यों को भी सूचना भेज दी है.

सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून के अंतर्गत मौजूद अनुच्छेद में कंप्यूटर या संचार उपकरण के माध्यम से भेजे गए ऐसा संदेश जो अपमानजनक और धमकाने वाला हो या जिससे किसी को दुख पहुंचे या जो नफरत फैलाने वाला हो, के लिए तीन साल की कैद की सज़ा का प्रावधान है.

गिरफ्तारी

हाल ही में मुंबई के पास पालघर से दो लड़कियों को इस धारा के तहत गिरफ्तार किया गया था.

इनमें से एक ने शिव सेना नेता बाल ठाकरे की मौत के बाद हुए मुंबई बंद पर सवाल उठाया था जिसे दूसरी लड़की ने लाईक किया था.

इसी तरह फेसबुक पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ़ तथाकथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं ने एक युवक के खिलाफ़ बुधवार को ठाणे पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद पुलिस ने उससे लंबी पूछताछ कर फिर उसे छोड़ दिया.

पिछले दिनों ख़बर आई थी कि एक विमान कंपनी के दो कर्मचारियों को लंबा समय इसलिए हिरासत में बिताना पड़ा क्योंकि उन्होंने इंटरनेट पर कुछ टिपण्णियां दर्ज की थीं.

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