हिलेगा हिमालय और खतरे में हम!

हिमालय की भूस्थिति और सक्रियता का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि दुनिया की इस सबसे नई पर्वत श्रृंखला में अत्यधिक तीव्रता वाले कई भीषण भूकंप आने लगेंगे। इन भीषण भूकंपों का कारण भविष्य में भारतीय चट्टानी प्लेट का एशिया की चट्टानी प्लेट के नीचे दबते जाना होगा।

लिहाजा हिमालय से लगे दक्षिण उपमहाद्वीप के मैदानी इलाके तिब्बती पठार से टूटकर अलग हो जाएंगे।

स्टैनफोर्ड के भूगर्भभौतिक शास्त्रियों के अनुसार हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण ही भारतीय और एशिया महाद्वीप प्लेट के टकराने से हुआ था। कुल बरसों पहले ही वैज्ञानिकों ने शोध में इस तथ्य की पुष्टि की थी। अब हाल के अध्ययनों में ये बात भी सामने आ चुकी है कि भारतीय प्लेट बहुत धीरे-धीरे एशियाई प्लेट के नीचे सरकती जा रही है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने स्टैनफोर्ड के अध्ययन पर बयान जारी कर रहा कि इन दो प्लेट के टकराने से मेन हिमालय थ्रस्ट (एमएचटी) के भविष्य में अलग होने संबंधी प्रभावों का गहन अध्ययन किया है। खासकर जिस गतिविधि के कारण ये दो प्लेटें एक-दूसरे से अलग हो जाएंगी इस बारे में वैज्ञानिकों ने व्यापक अध्ययन किया है। पिछले अध्ययनों में पाया गया था कि भारतीय प्लेट किसी गड़बड़ी के कारण कुछ डिग्री उत्तर दिशा की ओर सरक जाएगी। लेकिन स्थिति को और स्पष्ट करने के लिए अब स्टैनफोर्ड के जीयोफिजिक्स के मुख्य अनुसंधानकर्ता वारेन क्लैडवेल ने हिमालय पर्वत श्रृंखला के पिछले दो साल के भूकंपीय गतिविधियों के आकड़े नेशनल जीयोफिजिक्स रीसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से हासिल किए। इन आकड़ों से जो छवि उभरी उसके तहत भारतीय प्लेट में बहुत मामूली यानी दो से चार डिग्री का झुकाव उत्तर की दिशा की ओर था। लेकिन जब इसका और विस्तृत अध्ययन किया गया तो पाया कि भारतीय प्लेट में कुछ हिस्सा काफी अधिक यानी 15 डिग्री नीचे तक (करीब बीस किलोमीटर) झुका हुआ है। उन्होंने बताया कि मेन हिमालय थ्रस्ट (एमएचटी) हर कुछ सौ साल पर 8 से 9 रिक्टर स्केल का भूकंप आने का इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि वह अध्ययन में ये नहीं देख रहे कि भूकंप का चक्र किस-किस इलाके को प्रभावित करेगा। बल्कि वह इस बात को गहराई से देख रहे हैं कि आने वाला भूकंप कितना तीव्र होगा। क्लैडवेल ने कहा कि उनके हिसाब से भूकंप के चक्र में पहले बताए गए इलाके के मुकाबले उत्तर दिशा में कहीं और आगे होगा। क्लैडवेल के सलाहकार और जीयोफिजिक्स के प्रोफेसर सिमोन क्लेमपरर ने बताया कि हाल के चित्रों में मेन हिमालय थ्रस्ट (एमएचटी) में लावा और पानी के नमूनों के आधार पर बताया कि इस भीषण भूकंप के दौरान उपमहाद्वीपीय प्लेट का कुछ हिस्सा टूट जाएगा। इस हलचल के बाद उनके विचार से पृथ्वी की सतह का दक्षिणी सिरा उभर कर आएगा। केमप्लर ने कहा कि इस खोज से मैदानी इलाकों में बसी घनी आबादी के खतरे को भापने और विनाश से उभरने के उपाय करने में मदद मिलेगी।

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