अब पाकिस्तान का क्या होगा? हर पल की खबर पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है। पीएम की गिरफ्तारी के आदेश से लेकर कादरी के करिश्मे पर पूरी दुनिया टकटकी लगाए बैठी है। पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक कादरी ने सरकार को सत्ता छोड़ने के लिए बुधवार रात तक का अल्टीमेटम दिया था। जो कि अब समाप्त हो चुका है।
इस्लामाबाद के बीचों बीच जिन्ना एवन्यू में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कादरी ने कहा कि संसद गुंडों और लुटेरों को संरक्षण दे रही है। उन्होंने दावा किया कि यह सभी जल्द ही देश छोड़कर भाग जाएंगे। न्यायपालिका की जमकर तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने लोकतंत्र के इस स्तंभ को किनारे लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। चुनाव सुधार को लेकर उनके क्रांति के आह्वान से पाकिस्तान में अरब जैसी क्रांति को दोहराने की आशंका जताई जा रही है। पिछले कुछ सालों में इस्लामाबाद में यह सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है। कादरी ने कहा कि देश पर शासन करने के लिए ईमानदार और वफादार लोगों की जरूरत है। कानून तोड़ने वाले अपराधियों की जगह जेल में है संसद में नहीं। हमारी संसद भ्रष्टाचार और चोरों से भरी पड़ी है। 70 प्रतिशत सांसदों ने अपना टैक्स रिटर्न नहीं भरा। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार न्यायपालिका की सर्वोच्चता को स्वीकार नहीं करती और अदालतों का उपहास उड़ाती है।
कौन हैं ताहिर अल कादरी
-2010 में प्रकाशित अपनी चर्चित किताब फतवा ऑन टेरेरिज्म की वजह से अंतरराष्ट्रीय जगत की सुर्खियों में आने वाले मुहम्मद ताहिर अल कादरी पाकिस्तानी सूफी विद्धान हैं।
-पाकिस्तान विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर रह चुके कादरी ने अपनी चर्चित किताब में आतंकवाद और आत्मघाती बम विस्फोटों को गैर-इस्लामिक करार दिया।
-उन्होंने 1981 में सूफी सिद्धांतों पर आधारित संगठन मिन्हाज-अल-कुरान की स्थापना की।
राजनीतिक दल
1989 में राजनीतिक दल पाकिस्तानी अवामी तहरीक की स्थापना की। नेशनल असेंबली के सदस्य रहे और 2004 में इस्तीफा देकर कनाडा चले गए।
भारत की यात्रा
पिछले साल 22 फरवरी को शांति के संदेश के साथ यहां आए। दिल्ली में अपनी किताब लांच करने के बाद उन्होंने अजमेर की भी यात्रा की।
मिन्हाज-अल-कुरान
इसका लाहौर में मुख्यालय है। इसका मकसद धार्मिक सुधार, सरकारी सुधार, प्रभावी शिक्षा, प्रेम, शांति और भाईचारे को बढ़ावा देना है। पाकिस्तान के अलावा विदेश में मिन्हाज-अल-कुरान इंटरनेशनल के नाम से दुनिया के करीब 90 देशों में इसकी शाखाएं हैं।
इमरान खान को न्योता
कादरी ने कहा कि तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के चीफ इमरान खान भ्रष्ट नेताओं में शामिल नहीं हैं। वह भी देश में बदलाव चाहते हैं इसलिए उन्हें उनके साथ आना चाहिए ताकि भ्रष्ट सरकार से छुटकारा मिल सके।
कादरी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
सरकार से सत्ता छोड़ने की मांग कर रहे धार्मिक गुरु ताहिर उल कादरी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। पुलिस ने कादरी और 70 अज्ञात लोगों के खिलाफ कोहसर पुलिस स्टेशन में पुलिस अधिकारियों पर प्रदर्शन स्थल पर हमला करने, शांति भंग करने और पुलिस से हथियार छीनने का मामला दर्ज किया है। सूत्रों के मुताबिक अधिकारी उनकी गिरफ्तारी के लिए गृहमंत्री रहमान मलिक से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। गृह मंत्रालय इस बारे में सोच विचार कर निर्णय लेगा।
नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ उलझ रहा पाकिस्तान घरेलू मोर्चे पर बुरी तरह घिर गया है। अपने हजारों समर्थकों के साथ पिछले तीन दिन से प्रदर्शन कर रहे पाकिस्तान के फायरब्रैंड ताहिर उल कादरी ने सरकार की नींद उड़ा दी है।
सियासत नहीं रियासत बदलो
इस नारे के साथ सोमवार को लाहौर से अपने समर्थकों के साथ लांग मार्च करके इस्लामाबाद पहुंचे 61 वर्षीय कादरी ने सरकार के सामने आम चुनाव को लेकर चार मांगे रखी हैं। इन्हें पूरा करने के लिए उन्होंने बुधवार रात तक की मोहलत दी थी। इन मांगों में चुनावी आयोग को भंग करके पुनगर्ठित करना, राष्ट्रीय और प्रांतीय असेंबली को भंग करना, कार्यकारी सरकार में ईमानदार लोगों को रखना शामिल है। साथ ही कहा कि कार्यकारी सरकार के गठन के लिए सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और विपक्षी पीएमएल-एन के बीच कोई गोपनीय समझौता नहीं होना चाहिए। तहरीक मिन्हाज-अल-कुरान के प्रमुख ने कहा कि तथाकथित लोकतांत्रिक सरकार बुधवार या गुरुवार को नहीं रहेगी। अब हम देश में भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते।
पूर्व विधि प्रोफेसर ने अधिकारियों को सरकार को धता बताने के लिए उकसाया। कादरी की मुहिम को सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ की गिरफ्तारी के आदेश ने हवा दे दी है। कादरी ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद सरकार और प्रधानमंत्री ने अपना नैतिक आधार खो दिया है। अशरफ को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।
कादरी की ताकत
रातोंरात पाकिस्तान की सियासी जमीन पर प्रकट होकर लोकतांत्रिक क्रांति का नारा देने वाले कादरी के बारे में कई किस्म की अटकलें लगाई जा रही हैं।
-उनको पाकिस्तानी सेना का समर्थक मानने वाले कहते हैं कि वह शक्तिशाली सेना के इशारे पर मई में होने जा रहे आम चुनावों को टालना चाहते हैं।
-उनको अमेरिका की कठपुतली भी कहा जा रहा है क्योंकि दिसंबर में सात साल बाद कनाडा से पाकिस्तान वापसी और एकदम से सियासी केंद्र बिंदु बनने में अमेरिका का हाथ माना जा रहा है।
बढ़ता समर्थन
-लाहौर से 38 घंटे के लांग मार्च के बाद इस्लामाबाद पहुंचे कादरी के बढ़ते जन समर्थन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2008 में इस्लामाबाद में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी [पीपीपी] की जीत के बाद कादरी के समर्थन में उमड़े जन समूह को सबसे बड़ी राजनीतिक रैली माना जा रहा है।
-युवाओं और महिलाओं को उनका सबसे बड़ा समर्थक माना जा रहा है। यह भी अटकलें हैं कि लाहौर में उनको सिर्फ इसलिए गिरफ्तार नहीं किया जा सका क्योंकि मार्च में शामिल महिलाओं ने उनके चारों तरफ सुरक्षा घेरा बना रखा था।
राजनीतिक समर्थन
परवेज मुशर्रफ: पूर्व राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ ने कादरी के लांग मार्च को सफल करार दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि वह कादरी का शुरू से ही समर्थन करते रहे हैं।
अल्ताफ हुसैन: लंदन में रह रहे मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट [एमक्यूएम] के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने कहा है कि कादरी पाकिस्तानी आवाम की सामूहिक आवाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी मांगों को तत्काल स्वीकार किया जाना चाहिए और लांग मार्च के रास्ते में कोई बाधा नहीं खड़ी करनी चाहिए।