तिब्बत में मजबूत पकड़ के लिए चीन की ये नई चाल

 चीन ने दलाई लामा के बाद भविष्य का नेतृत्व तैयार करने के उद्देश्य से 16 साल के एक तिब्बती भिक्षु को तिब्बत के एक प्रमुख सलाहकार निकाय का सदस्य नियुक्त किया है। चीन समर्थक इस भिक्षु का नाम सुओनाम फुन्टसो है। उन्हें रीटिंग रिनपोछे का पुनर्जन्म माना जाता है। रीटिंग रिनपोछे तिब्बत के मध्य में स्थित प्रभावशाली मठ रीटिंग को देखने वाले मठाधिकारियों का नाम है।

सुओनाम फुन्टसो को चीन की पीपुल्स पॉलिटिकल कंसुलेटिव कांफ्रेंस (सीपीपीसीसी) की तिब्बत कमेटी का सदस्य नियुक्त किया गया है। यह एक सलाहकार विधायी संस्था है। चीन के सरकारी समाचार पत्र चाइना डेली ने सोमवार को लिखा, राजनीतिक सलाहकार संस्था के सबसे कम उम्र के सदस्य तिब्बत में एक धार्मिक प्रतिनिधि यानी रीटिंग रिनपोछे होंगे। विश्लेषकों का कहना है कि यह नियुक्ति दर्शाती है कि भविष्य में रीटिंग रिनपोछे दलाई लामा की नियुक्ति करेंगे। सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के अनुसार, चार वर्ष की उम्र में ही सुओनाम फुन्टसो को छठे रीटिंग लिविंग बुद्धा का अवतार मानकर उन्हें गद्दी पर बैठाया गया था।

विश्लेषकों का मानना है कि दलाई लामा के बाद चीन किसी अपने को इस पद पर देखना चाहता है। साल 2010 में चीन ने 22 वर्षीय पंचेन लामा को देश की शीर्ष सलाहकार संस्था, नेशनल सीपीपीसीसी में नियुक्त किया था। भारत में निर्वासित जीवन जी रहे 77 वर्षीय दलाई लामा की वापसी के लिए हाल के महीनों में 95 से अधिक तिब्बती लोग (अधिकतर बौद्ध भिक्षु) आत्मदाह कर चुके हैं।

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