प्रधानमंत्री की दाढ़ी में खोजा जा रहा है तिनका

मिस्र में पुरुषों के दाढ़ी रखने को धर्मिक प्रतीक के तौर पर देखा जाता था लेकिन अब इसे एक राजनीतिक प्रतीक की तरह देखा जाता है. ये बदलाव दर्शाता है कि यहां चीज़े कितनी तेज़ी से बदल रही हैं.

इस मुसलमान बहुल देश में पिछले छह दशकों में जो लोग दाढ़ी रखते थे उन्हें इस्लामी कट्टरपंथी माना जाता था.

ऐसे लोगों पर सरकार की तरफ से पुलिस निगरानी रखती थी और किसी बड़े पद पर चाहे वो पुलिस हो या मीडिया किसी दाढ़ी वाले व्यक्ति का आसीन होना असामान्य होता था.

लेकिन अब स्थिति बदली है और आज की तारीख में मिस्र के प्रधानमंत्री दाढ़ी वाले हैं.

कई हफ्तों तक सोच-विचार के बाद मिस्र के राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी ने मंगलवार को डॉक्टर हिशाम कांडील को नई सरकार के गठन की जिम्मेदारी सौंपी.

पिछली सरकार में वे सिंचाई मंत्री हुआ करते थे.

विवाद

कांडील की जब पहली बार जुलाई 2011 में नियुक्ति हुई थी तब दाढ़ी रखने वाले पहले मंत्री बनने के कारण वे चर्चा में आ गए थे.

हालांकि कई लोगों ने एक दाढ़ी वाले मंत्री को उस समय मिस्र में एक सकारात्मक बदलाव के संकेत के तौर पर देखा था.

लेकिन अब जब उन्हें नए प्रधानमंत्री के पद के लिए चुना गया है तो उनके दाढ़ी रखने का स्वागत नहीं किया जा रहा है.

दाढ़ी रखना एक धार्मिक मुसलमान होने की निशानी है जो पैगंबर मोहम्मद को मानता है.

लेकिन मिस्र में जहां लंबे समय से धर्मनिरपेक्षता की परंपरा चली आ रही है मुस्लिम उलेमा वहां दाढ़ी रखने को इस्लाम के लिए आवश्यक नहीं मानते हैं और दाढ़ी भी नहीं रखते हैं.

टिप्पणियां

सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर इस्लामी राष्ट्रपति के तौर पर कांडील के चुनाव करने को लेकर कई व्यंग्यात्मक टिप्पणियां की गई हैं.

कुछ ने सवाल उठाया है कि क्या 50 वर्षीय इंजीनियर को चुनने का कारण दाढ़ी थी जो उनकी विचारधारा का संकेत देता है.

इन लोगों ने मुर्सी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने कांडील का पक्ष लिया है जबकि कई ऐसे हाइ-प्रोफाइल व्यक्ति जैसे- नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद अल बारदेई और अहमद जॉवइल थे जिन्हें ये पद दिया जा सकता था.

तो कई टिप्पणियों में इस बात को लेकर डर जताया कि ये एक तरह के संकेत देता है कि मिस्र का इस्लामीकरण हो रहा है.

पत्रकार और राजनीतिक कार्यकर्ता गमाल फहमी का कहना है कि सोशल नेटवर्किंग पर जो बहस चल रही है वो एक तरह से परिचायक है.

उन्होंने बीबीसी को बताया, ”मुस्लिम ब्रदरहुड अमरीकियों और पश्चिमी देशों का तुष्टिकरण कर पाई है लेकिन मिस्र में फेल हो गई. मिस्रवासियों को अपने देश के इस्लामीकरण होने का डर है.”

व्यक्तित्व

कांडील की दाढ़ी मुस्लिम ब्रदरहुड और उसकी प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक पार्टियों के बीच राजनीतिक लड़ाई बनती जा रही है.

राष्ट्रपति मुर्सी के सत्ता में आने के बाद उन्होंने एक ऐसे प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने का वादा किया था जो देशभक्त हो और जिनका स्वतंत्र व्यक्तित्व हो और वो किसी राजनीतिक पार्टी से संबद्ध न हो, खासकर मुस्लिम ब्रदरहुड पार्टी से न हो.

लेकिन ब्रदरहुड के आलोचकों का कहना है कि कांडील मुस्लिम समूह से संबद्ध हैं.

फहमी का कहना है, ”कांडील का सब आदर करते हैं और उनका किसी राजनीतिक पार्टी से भी लेना-देना न हो लेकिन वे मुस्लिम ब्रदरहुड पार्टी से जुड़े हुए हैं कम से कम मानसिक तौर पर.”

लेकिन अन्य का मानना है कि कांडील मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्य नहीं है और उनकी दाढ़ी को इस रूप में नहीं दिखाया जाना चाहिए.

पत्रकार और राजनीतिक टीकाकार सलह अब्दल मकसूद का कहना है, ”दाढ़ी रखना कोई अपराध नहीं है. हमें उनके रूप रंग को देखकर उन पर आरोप नहीं लगाने चाहिए.”

उनका कहना था कि ये देखना होगा कि वे आगे आने वाली अंतहीन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं.

वहीं व्यापारिक समूहों में भी लोग उनकी नियुक्ति से दुखी हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि जिस तरह के आर्थिक हालात से देश गुजर रहा है ऐसी स्थिति में किसी आर्थिक मामलों के जानकार को आना चाहिए था जो अर्थव्यवस्था में जान फूँक पाता.

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