उल्का का पता लगाने को गोताखोर छान रहे झील की खाक

mascoमास्को। सेंट्रल रूस में शुक्रवार को गिरे उल्का और इससे बनी झील की जांच के लिए गठित की गई वैज्ञानिकों और गोताखोरों की टीम ने काम करना शुरू कर दिया है, जो इससे जुड़े तथ्यों की जानकारी जुटाएगी। रेडियो रूस के मुताबिक उल्का के गिरने करीब बारह सौ लोग जख्मी हुए हैं। चेल्याबिंस्क इलाके में सबसे ज्यादा लोग घायल इस उल्का के गिरने से घायल हुए।

रूसी संवाद एजेंसी के मुताबिक 1200 लोगों को घायल करने और हजारों घरों को नुकसान पहुंचाने वाले उल्का के टुकड़ों की तलाश करने के लिए छह गोताखोरों के एक समूह ने उल्कापिंड के टुकड़ों की स्थिति जानने के लिए चेलियाबिंस्क क्षेत्र की जमी हुई झील की तलहटी खंगालनी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि उल्का का एक हिस्सा चेलियाबिंस्क की जमी हुई झील च्लेक चेबारकुलच में गिरा है।

रूस के आपदा मामलों के मंत्री व्लादिमीर पुचकोव ने चेलियाबिंस्क शहर का मुआयना करने के बाद कहा कि स्थिति से निपटने के लिए विशेष दल काम कर रहे हैं। यह दल इमारतों की भूकंपीय स्थिरता का आकलन भी कर रहा है। उन्होंने बताया कि करीब 20 हजार लोगों को बचाव और उल्कापिंड का पता लगाने के लिए क्षेत्र में भेजा गया है, लेकिन उसका कोई टुकड़ा क्षेत्र में कहीं नहीं पाया गया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों का आकलन है कि वायुमंडल के साथ उल्का के टकराव से जितनी ऊर्जा निकली, वह जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिका की ओर से गिराए गए परमाणु बम से निकली ऊर्जा से 30 गुणा ज्यादा है।

रूसी विज्ञान अकादमी के खगोलविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक अलेक्सांद्र बग्रोव के मुताबिक उल्कापिंडों के खतरे का सामना करने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम एक छोटा टेलीस्कोप पृथ्वी की कक्षा में प्रस्थापित करें। पृथ्वी के इर्द-गिर्द के अंतरिक्षीय विस्तार का अध्ययन करते हुए उल्कापिंडों का पता लगाने के लिए इन दिनों कई परियोजनाओं पर काम हो रहा है। इन परियोजनाओं को जब सफलतापूर्वक क्रियान्वित कर लिया जाएगा तो दस लाख किलोमीटर की दूरी पर ही ऐसे पिंडों का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा उनके पथ की भी गणना कर सकेंगे।

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