मुशर्रफ की वतन वापसी के मायने

musharraf-returns-to-pakistanनई दिल्ली। स्वनिर्वासन को खत्म करते हुए पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ साढ़े चार साल बाद वतन पहुंच चुके हैं। उनका इरादा 11 मई से होने वाले वहां के आम चुनाव में हिस्सा लेना है। पाकिस्तान में हत्या के दो मामलों में उनके खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी किए जा चुके हैं। हालांकि हाल ही में उन्हें इन मामलों में अग्रिम जमानत मिल चुकी है, लेकिन चुनावी राजनीति में खास कामयाबी न मिलने की अटकलों को बीच हर कोई जान और समझ रहा है कि मुशर्रफ जिस रास्ते पर लौट रहे हैं उसमें फूल कम कांटे ज्यादा हैं। ऐसे में उनके वतन वापसी पर हर कोई सवाल खड़ा कर रहा है। उनके इस कदम के मायनों पर पेश है एक नजर:

खतरनाक रास्ता:

-पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुंट्टो और बलूच नेता अकबर खान बुगती की हत्या के मामलों में गिरफ्तारी के वारंट, अग्रिम जमानत मिल चुकी है लेकिन स्थितियां दुश्वर हो सकती हैं।

-इस्लामाबाद की लाल मस्जिद पर 2007 में हुई कार्रवाई के सिलसिले में भी उनकी अदालत में पेशी होनी है।

-2007 में मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी को बर्खास्त करने के मामले में उन्हें राजद्रोह का सामना करना पड़ सकता है।

-आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी मुहिम में साथ देने के चलते तालिबान के निशाने पर।

-मानवाधिकार उल्लंघन के भी मामले।

उम्मीद की रोशनी:

-चुनाव में शिरकत करके मुशर्रफ का न्यूनतम लक्ष्य गिरफ्तारी से बचना और संसद की सीट जीतना।

-पाकिस्तानी व्यवस्था में दबदबा रखने वाली सेना अपने पूर्व प्रमुख को अदालत के चक्कर शायद न काटने दे।

-मुशर्रफ को कराची जैसे शहरी क्षेत्र के उन युवा उद्यमियों और पेशेवर लोगों के बीच समर्थन प्राप्त है, जिन्हें उनके कार्यकाल में फायदा हुआ था।

-विश्लेषकों का मानना है कि एमक्यूएम जैसे राजनीतिक दलों की साझीदारी के बूते संसद की एक सीट जीतना मुश्किल नहीं है।

-वापसी से इतिहास में उनका नाम बतौर भगोड़ा दर्ज होने से बच जाएगा।

अर्श से फर्श पर:

-तत्कालीन सेना प्रमुख रहे मुशर्रफ ने नवाज शरीफ सरकार का 13 अक्टूबर, 1999 को तख्तापलट किया।

-20 जून, 2001 को तत्कालीन राष्ट्रपति रफीक तरार को हटाकर खुद पद पर आसीन हुए विराजमान हुए।

-आम चुनावों से ठीक पहले मार्च, 2007 में मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी को बर्खास्त करना भारी पड़ा। मुशर्रफ के खिलाफ पूरे देश में वकीलों का उग्र आंदोलन शुरू हुआ।

-10 जुलाई, 2007 को इस्लामाबाद की लाल मस्जिद पर सैन्य कार्रवाई का हुक्म दिया। सौ से ज्यादा लोग मारे गए। इस घटना से छवि को गहरा धक्का लगा।

-अक्टूबर, 2007 में विवादों के बीच राष्ट्रपति चुनाव जीते।

-घटती लोकप्रियता के बीच नवंबर, 2007 में आपातकाल लगाया। इसी महीने सेना प्रमुख पद को छोड़ा।

-दिसंबर, 2007 में बेनजीर भुंट्टो की हत्या कर दी गई। विरोधियों ने इनका हाथ होने का आरोप लगाया।

-फरवरी, 2008 में आम चुनाव हुए। मुशर्रफ की पार्टी हुई खारिज। नवाज शरीफ और आसिफ अली जरदारी ने मिलकर सरकार बनाई।

-अगस्त, 2008 में राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर चले गए।

-मई, 2010 में पाकिस्तानी राजनीति में प्रवेश करने की इच्छा जाहिर की।

-अक्टूबर, 2010 में राजनीतिक दल ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग की शुरुआत की। खुद इसके अध्यक्ष बने।

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