लाहौर। पाकिस्तानी चरमपंथियों के निशाने पर रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय अहमदिया ने आम चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है। समुदाय के संगठन जमात अहमदिया पाकिस्तान के प्रवक्ता सलीमुद्दीन ने बताया कि कोई अहमदिया 11 मई को मतदान नहीं करेगा। हम हमारे समुदाय के खिलाफ होने वाले भेदभाव के विरोध में चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं।
सलीमुद्दीन ने कहा कि चुनाव नियमों के मुताबिक, मतदाता बनने के लिए पाकिस्तानी नागरिक होना जरूरी है। किसी नागरिक का धर्म या उसकी विचारधारा का इससे कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। हालांकि, चुनाव आयोग ने मतदाता रजिस्ट्रेशन फॉर्म में धर्म के लिए भी एक विकल्प दिया है। इससे अहमदिया समुदाय की धार्मिक विचारधारा को चोट पहुंचाने की कोशिश की गई। हम इसके कतई स्वीकार नहीं सकते। चुनाव के लिए एक वोटर लिस्ट होती है। हालांकि, 2002 और 2008 के आम चुनाव में अहमदिया समुदाय के लिए अलग से वोटिंग लिस्ट बनाई गई। इस बार भी चुनाव आयोग ने हमारे लिए एक अलग कॉलम बनाकर अपमानित किया है।
सलीमुद्दीन ने कहा कि अहमदिया समुदाय को छोड़कर हिंदू, इसाई, सिख, पारसी, मुस्लिम और अन्य सभी एक लिस्ट में हैं। यह बेहूदगी से भरा भेदभाव है। यह हमें संविधान से मिले अधिकारों को छीनने का प्रयास है। अहमदिया कानून का पालन करने वाले सभ्य नागरिक हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान में हमारे मौलिक अधिकारों का मजाक बनाया जा रहा है। पाकिस्तान में 1,50,000 से ज्यादा अहमदिया वोटर हैं।
अहमदिया समुदाय: अहमदिया इस्लाम धर्म का सबसे विवादास्पद समुदाय है। वह खुद को मुस्लिम मानते हैं। हालांकि, संविधान में बदलाव कर उन्हें 1974 में पाकिस्तान सरकार ने गैर मुस्लिम घोषित कर दिया था। एक दशक बाद उन्हें खुद को मुस्लिम कहने से पूरी तरह रोक दिया गया था। पाकिस्तान में करीब 15 लाख अहमदिया हैं।
खौफ में जी रहे हजारा
क्वेटा। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए जीवन दूभर है। न केवल गैर मुस्लिम बल्कि मुसलमानों के कुछ समुदाय भी खौफ में अपना जीवन गुजार रहे हैं। इन्हीं में शामिल हैं हजारा अल्पसंख्यक। आम चुनाव की सरगर्मी के बीच हजारा समुदाय चिंतित है। 10 जनवरी को हुए एक आत्मघाती हमलावर ने लगभग 300 किग्रा विस्फोटक से भरी कार को हजारा शिया बहुल इलाके में उड़ा कर 96 अल्पसंख्यकों की जान ले ली थी।
इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहे शेर मोहम्मद और उसके साथियों ने धमाके के अगले कुछ घंटों तक अपनों की चीथड़े बटोरे। वह और उनके जैसे कई लोग आज भी डर के साये में जी रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमने सड़कों से तीन बैग भरकर जिस्मों के टुकड़े उठाए। कम से कम 12 लोग चीथड़ों में तब्दील हो चुके थे। मोहम्मद ने कहा कि लश्कर-ए-झांगवी आज भी हमारे लिए खतरा बना हुआ है। जिस इमारत के बेसमेंट में धमाका हुआ था, वहां अब सामान्य जनजीवन शुरू हो चुका है। हालांकि, लोग उस दिन को याद करके सिहर उठते हैं। पुलिस ने विस्फोट के बाद इलाके की सुरक्षा बढ़ा दी है।
चुनाव से पाकिस्तान में कुछ नहीं बदलने वाला
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में लॉन्ग मार्च कर सरकार को जनवरी में हिलाकर रख देने वाले मौलाना ताहिर उल कादरी ने कहा है कि चुनाव से देश में कुछ नहीं बदलने वाला। चुनाव के बाद सत्ता पर काबिज चेहरे भी नहीं बदलने वाले। उन्होंने कहा कि देश का सिस्टम ठीक नहीं है। 11 मई को होने वाला आम चुनाव कोई बदलाव की लहर नहीं ला रहा। सब कुछ पहले जैसा ही होता जा रहा है।
ब्रिटेन के बर्मिघम में बड़ी संख्या में मौजूद पाकिस्तानियों को संबोधित करते हुए कादरी ने कहा कि कई समुदाय चुनाव का विरोध कर रहे हैं। देश की जनता भी चुनाव बाद खुद को ठगा हुआ महसूस करेगी। पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक कादरी ने कहा कि यह अब तक का सबसे बुरा चुनाव है। आम चुनाव का प्रबंधन देश के ताकतवर लोग अपने फायदे के लिए कर रहे हैं। अपने तीन दिवसीय मार्च के दौरान तहरीक-ए-मिन्हाज-उल-कुरान पार्टी के संस्थापक ने संसद को भंग करने की मांग भी की थी।