सात साल में हो गया खतना, उठे सवाल

मिस्र में 13 साल की एक बच्ची की खतना के दौरान हुई मौत ने दुनिया का ध्यान इस मुद्दे की तरफ खींचा है और इस बारे में नए सिरे से बहस शुरू हो गई है।
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ब्रितानी आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले दो सालों में जिन लड़कियों की खतना के दौरान हुई समस्याओं के लिए इलाज किया गया, उनमें सबसे कम उम्र की लड़की सात साल की थी।

बाल अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था एनएसपीसीसी के मुताबिक विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इस दौरान करीब 1700 महिलाओं और लड़कियों का खतना से हुई विकृतियों के लिए इलाज किया।

कुछ अफ्रीकी, मध्य पूर्वी और एशियाई देशों में खतना की प्रथा है। एनएसपीसीसी ने ब्रिटेन में इस बारे में लड़कियों के जागरूक बनाने के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की है।

गैरकानूनी

संस्था के मुताबिक खतना की प्रथा ‘गैरकानूनी और जानलेवा’ है। इससे बच्चियों को भयानक शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है और वे लंबे समय तक इससे उबर नहीं पाती हैं।

खतना को ब्रिटेन में 1985 में प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन अब भी गुपचुप रूप से ये बदस्तूर जारी है। अक्सर खतना के दौरान संवेदनहारी दवा का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

कभी कभार लड़कियों को खतना के लिए बाहर भेजा जाता है और कभी इसे ब्रिटेन में ही अंजाम दिया जाता है।

एनएसपीसीसी का कहना है कि जिन लड़कियों का खतना किया जाता है उनकी उम्र चार से दस साल के बीच होती है। कुछ मामलों में तो लड़कियों की उम्र इससे भी कम होती है।

खतरा

लंदन के गाइज एंड सेंट थॉमस अस्पताल में मिडवाइफ कंफर्ट मोमोह ने कहा कि कई महिलाओं के खतना के बारे में तब तक पता नहीं चलता जब तक कि वे गर्भवती नहीं हो जाती हैं या डॉक्टर से नहीं मिलती।

उन्होंने कहा, “कई महिलाएं को तो पता भी नहीं है कि उनका खतना कब हुआ था क्योंकि जब ये हुआ था उस समय वे बच्चियां थीं।”

सरकारी अनुमान के मुताबिक इंग्लैंड और वेल्स में करीब 20,000 लड़कियों पर इसका खतरा मंडरा रहा है लेकिन इस बारे में सही आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

मेट्रोपोलिटन पुलिस सर्विस के अधिकारी कीथ निवेन ने कहा, “संस्कृति के नाम पर इसे जारी नहीं रखा जा सकता है। ये बच्चों के अधिकारों का हनन है और इसमें शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।”

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