तेजपाल के नाम पर ‘तहलका’ को निपटाने में जुट गए न्यूज चैनल वाले

Tejpal_360x270वही खेल शुरू हो गया जिसकी आशंका थी… न्यूज चैनल वाले (एबीपी न्यूज, जी न्यूज और आईबीएन7 तो मैंने खुद देखा) अब तरुण तेजपाल के बहाने तहलका ब्रांड, तहलका संस्थान, तहलका मैग्जीन पर हमला शुरू कर चुके हैं.. जो चैनल खुद अंबानियों को गोद में बैठ चुके हैं, जो चैनल खुद दर्जनों कार्पोरेट डील करके बड़े कार्पोरेट घोटाले पर चुप्पी साध चुके हैं, वो तहलका के किन्हीं एक दो प्रकरणों को लेकर उस पर हमलावर हो चुके हैं और तहलका को पत्रकारिता का खलनायक ब्रांड घोषित करने पर तुल गए हैं..

कुछ समझ में आया आपको?

कार्पोरेट घराने इसी तरह आपरेट करते हैं. तहलका की तलवार बहुतों पर लटकती रहती है.. जाने कौन इसके नीचे आ जाए… बाकी मीडिया घरानों से तो कार्पोरेट की सेटिंग है या फिर कार्पोरेट ने इन्हें खरीद लिया है.. पर तहलका के कार्पोरेटीकरण के बावजूद इसका अस्सी फीसदी से ज्यादा हिस्सा बेबाक पत्रकारिता के लिए तत्पर है… इस मार्केट इकोनामी में सरवाइव करने के लिए पांच, दस, या बीस प्रतिशत तक रेवेन्यू एग्रीमेंट्स करना ही पड़ता है. लेकिन जो नब्बे प्रतिशत तक अपना कंटेंट, इमान बेच चुके हैं, वो अगर तहलका पर उंगली उठाएं तो समझ में आ जाता है कि इनकी मंशा क्या है..

अभी आगे आगे देखिए होता है क्या…

तरुण तेजपाल के बहाने तहलका को नष्ट करने का अभियान बहुतों के लिए सबक है… अगर आप आंख कार्पोरेट घरानों या गले तक करप्शन में धंसे मीडिया हाउसों की आंख की किरकिरी हैं तो आपको इतने बढ़िया ढंग से निपटाया जाएगा कि आप आह भी न कर सकेंगे..

बरेली से एक मित्र ने मैसेज भेजा है कि ये रवीश कुमार और अर्नव गोस्वामी को क्या हो गया है जो घुमा फिराकर तहलका पर ही बतिया रहे हैं कई दिनों से… मामला बहुत स्पष्ट है…. इन एनडीटीवी और टाइम्स नाऊ के मैनेजमेंट को भी तहलका फूटी आंख नहीं सुहा रहा क्योंकि इनको लगता है कि सबसे बड़े सरोकारी तो ये खुद हैं, सो दूसरा क्यों मार्केट में सरवाइव करे… सो बड़े करीने से तेजपाल के बहाने एनडीटीवी व टाइम्स नाऊ भी तहलका को निपटा रहे हैं…

भड़ास के एडिटर यशवंत के फेसबुक वॉल से.

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