आशु जी, सुना है आप आम आदमी बन गए हैं!

p1आम आदमी की जिन्हें खोज, बहुत खास हैं वे आशुतोष : आशुतोष जी या यूं कहें आशु जी, सुना है आप आम आदमी बन गए हैं। एकायक आम आदमी से इतना मोह क्यों! आप तो आम आदमी क्या आम पत्रकार को भी अछूत मानते रहे हैं—भले ही वह आपका कक्षा मित्र ही क्यों न हो। मैं सोच रहा था कि कहीं आप मुझे कक्षा मित्र ही मानने से इनकार न कर दें, इसलिए संभालकर रखी गई वह फोटो भी अपलोड कर रहा हूं, जिसे हमने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में खिंचवाई थी।

पहचानिए! फोटो में कई और हमारे कक्षा मित्र हैं—इस फोटो को आप ही पहचान सकते हैं, क्योंकि अब हमारी शारीरिक संरचना में काफी अंतर आ गया है। मुझे इस बात का कोई गिला नहीं है कि खास पद पर रहते हुए भी आपने दैनिक जागरण में शोषण के शिकार अपने इस पत्रकार मित्र की कोई मदद नहीं की, भले ही आप उसके हिंदी लेखन का लोहा मानते रहे हैं। मुझे गिला तब होगी जब आम आदमी के नाम पर भी आप खास हो जाएंगे। तब कहीं हमें डॉक्टर मोहन अवस्थी का यह अनुगीत गुनगुनाना पडेगा— आम मानव की जिन्हें खोज बहुत खास हैं वे, उनके संग चलने का मतलब है उजड़ते रहिए। हम नहीं तुम, तुम नहीं हम, खूब अकड़ते रहिए। http://bhadas4media.com
श्रीकांत सिंह
चीफ सब एडिटर, दैनिक जागरण, नोएडा
[email protected]

error: Content is protected !!