मैं खाकी हूँ

policeमैं खाकी हूँ . मैं शायद इंसान नहीं हूँ . मेडिकल रिपोर्ट भी शायद उस शरीर को इंसान मानने से इंकार कर देता है जब वह खाकी वर्दी में लिपट जाती है .बहुत पहले एक गाना गाया जाता था ” इनकी ना मानो सिपहिया से पूछो “, बड़ा विश्वास होता था इस सिपहिया पर. जब बच्चे रोते थे तो कभी माएं हमारा डर दिखाती है की चुप हो जा नहीं तो पुलिस आ जायेगी . कितना आदर और भय होता था लोगों में जैसा राजकपूर ने गाया था ” आधी रात को मत चिल्लाना नहीं तो पकड़ लेगा पुलिसवाला ” वह ज़माना कहां और कब चला गया . अब तो कोई ठुल्ला कहता है तो कोई मामा .पर कितना सुरक्षित महसूस करते है जब वह हमें देख लेते हैं . क्या देश के हर सवाल का जवाब खाकी है ?क्या उम्मीद है मुझसे ? इस चौराहे में खड़ा हूँ आठ घंटो से भी ज्यादा . मुझे देखना है की आप ना छेड़े आती जाती महिलायों को. आप के ही बीच कोई शख्स आपके ही सामने महिलायों के साथ बदतमीजी करेगा और दूसरे दिन मेरी शिकायत लिए इसी चौराहे पर वह आपके साथ ही जुलुस भी निकालेगा . मुझे इसके साथ यह भी देखना है की आप किसी बहकावे में आकर दंगा फसाद न करें .मुझे यह भी संभालना है की किसी राजनैतिक या सामाजिक समस्या पर आप भीड़ न जमा करें . मुझे चाक चौबंद होना की मंत्रीमहोदयजी की कार बिना किसी रूकावट के इस सिग्नल से निकल जाए . मुझे रेड अलर्ट किया गया है की आप के बीच कोई आतंकवादी गतिवधियां ना हो जाए .कुछ लोगों के वादविवाद में भी मुझे दखल देकर शान्ति बनाये रखना है. मैं अकेला चार किलो की बन्दूक कंधे पर लादे और हाथ में लाठी लिए इन सब जिम्मेदारियों को निभा रहा हूँ . मुझे बड़ा सतर्क होना है क्योंकि इस चौराहे पर खड़ी उस मूर्ति पर कोई कबूतर ना बैठ जाए . कहीं गन्दा हो जाएगा तो लोगों की किसी कोई भावना को आहत पहुंचेगी . आप इस चिलचिलाती धुप में भले न निकले , सर्दियों में अपने कम्बल से न निकले या फिर बारिश होते ही छत के नीचे भागे पर मुझे तो इसी चौराहे में खड़ा होना है . क्योंकि मेरे शरीर को खाकी वर्दी पहनने के बाद इनका असर नहीं होता . लेकिन मैं सिर्फ देख सकता हूँ क्यूंकि यदि सिग्नल तोड़ने पर भी मैं आपको रोकूँ तो आप फ़ोन घुमाने लगते हैं . कोई उत्पात मचाये तो मैं सिर्फ उसे देख सकता हूँ क्योकि मेरी बन्दूक तो सिर्फ कंधे पर लटकाने के लिए है चलाने के लिए . आदेश का इंतज़ार करो. पर वह जो मुझ पर अपनी पिस्टल ताने है उसे किस बात का डर है. उसे किसी गोली का हिसाब नहीं देना है . वह आपके सामने खड़ा है पर आप सैकड़ों वहां खड़े होकर मुझ अकेले से उम्मीद करते हो जो कल फिर जमानत पर रिहा हो जाएगा .मुझे ज्ञानी भी होना चाहिए . कानून की सारी किताबें , मानवता के सारे सिध्दांत , अपराधियों की मानसिकता और जनता की व्यावहारिकता का मुझे पूरी समझ होनी चाहिए . आपका बेटा मोटरसाइकिल पर बैठ लड़कियों के दुपट्टे भले खींचता रहे पर मेरी नासमझी पर आपको बड़ा क्रोध आता है . जिस देश में सामाजिक रूप से अभी भी भारी विषमतायें हैं. 40% जनसंख्या भी अनपढ़ हैं . 43 % बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. 42% आबादी गरीबी रेखा के नीचे है सार्वजनिक वितरण प्रणाली आधी आबादी तक नहीं पहुँच पा रहे है. भ्रस्टाचार से त्रस्त होकर देश के युवक बेकारी और हताशा के शिकार हो रहे हैं.देश के विकास कार्यों और योजनायों का लाभ जनता तक पहुँच ही नहीं पा रहा है जो आक्रोश को पैदा कर रहा है. राजनैतिक दलों के पास विकास का मुद्दा सिर्फ नारों में वोटों के लिए रहा गया है . जांत पांत , धर्म और सामाजिक संबधों में दरार की राजनीती खेल कर सत्ता के गलियारों में पहुँचने वाले नेताओं , अपराधियों के सहारे वोट बटोर कर कुर्सी हथियाने वाले और आये दिन घोटालों की समाचारों में महंगाई से परेशान जनता ….क्या इन सबका हल सिर्फ मेरी खाकी है .अधिकाश छेत्र आये दिन माओवादियों के कब्जे में होता जा रहा है…शोषण के खिलाफ लोगों का झुकाव नक्षलवाद की तरफ बढ़ता जा रहा है…हताश और लाचार युवक अपराधों के पार्टी आकर्षित होते जा रहे हैं .टीवी सीरियल और सिनेमा में खुले आम परोसे जा रहे अश्लीलता का भोजन , किसी भी बुक स्टाल में आसानी से मिलती देशी विदेशी अश्लीलता को बेचती किताबें …….पर समाज का निर्माण करना चाहते है मेरे लाठी के बल पर .साम्प्रदायिक भावनायों को भड़काते है आप लोग , दंगो में अपनी रोटी सेंकते है आप लोग ; पर दंगे को नियंत्रण करवाना चाहते हैं सिर्फ मेरी लाठी से क्योंकि कत्लेआम के बीच चिंता होती है आपको आपके वोट बैंक की . सभी जानते हैं पर मेरी निंदा करते है क्यूंकि चौराहे पर खड़ा देखता हूँ चुपचाप सिर्फ यह प्रार्थना करते हुए की आज मेरी नौकरी सलामत रहे या फिर मेरा लहू ना बहे . मुझे चौराहे पर हर एक के असंतोष से उठा पत्थर खाना है ,क्योंकि खाकी वर्दी के बाद पत्थर चोट तो पहुंचाते ही नहीं है . इस चौराहें पर दसों घंटो खड़ा होने के बाद मुझे यह भी ध्यान रखना है की हर एक चीजों का विस्तृत विवरण लिखूं ताकि अदालतों में बड़े बड़े कालेजों में पढ़े बड़ी बड़ी पदवी वाले लोग उस पर बहस कर सकें .यदि उन्होंने थोड़ी भी गलती निकाल ली तो मेरी निंदा करने कई लोग इस चौराहे में खड़े हो जायेंगे . मैं नहीं जानता ;क्या कहते है मेरे देश के लोग , क्या लिखते हैं अखबार , क्या चीखते है टीवी के लोग ? क्योंकि इस चौराहे पर खड़े यह सैकड़ों लोग तो अंधे है और बेजुबान है .इस चौराहे की हर घटना का जिम्मेदार तो सिर्फ मैं ही हूँ .क्योंकि मैं इंसान नहीं खाकी हूँ .मुझे भी मन करता है की इस धुप में खड़े खड़े थोडा विश्राम कर लूँ पर डरता हूँ की आप कानून व्यवस्था के ढीले होने का रोना रोने लगेंगे . चाहता हूँ की दुकान में रखी ठंडी पानी बोतल खरीद कर थोडा प्यास मिटा लूँ पर जेब देखता हूँ की आज रात को बच्चों को क्या खिलायुंगा ? लाठी के जोर पर ले लूँ तो भय है की आप देश के भ्रष्ट होने का भाषण देने लग जाएँ भले आप करोड़ों के घोटाले पर जुबान तक ना खोले .कितने शर्म की बात है खाकी वर्दी पहनने के बाद महिला भी महिला नहीं रह जाती . वह रह जाती है सिर्फ एक खाकी .यह विडबना नहीं है तो क्या है कि इस विश्व cialis online samples के सबसे बड़े प्रजातान्त्रिक देश में निस्पच्छ चुनाव के लिए भी मेरी खाकी की ताक़त पर निर्भरता है.चलिए मुझे उस सफ़ेद कार को बिना किसी रूकावट के जाने देना है और सलाम भी ठोकना है जिसे आपकी शिकायत पर , कल के ही दिन तो पीटते घसीटते हुए थाने लाया था और आपने ही उसे चुन भी लिया .मैं खाकी हूँ . यदि मेरा आज निलंबन नहीं हुआ तो कल मिलूँगा वहीँ खड़ा आपके लिए . क्या आप हैं मेरे िलये…….. whats app

error: Content is protected !!