देश जानता है अंकल बड़ा ही फेंकू है…

n modi 1फेंकने के लिए स्पोन्सर तो मिलते हैं
लपेटने के लिए टेक्नोलॉजी कहाँ है अंकल ?

गरीब देश है मगर मूरख तो नहीं
गिलास आधा है आधे हवा में हैं अंकल?

बदल के भेस कहाँ तक निकल के जाओगे ?
ज़ख्म हरा है, अभी तक भरा नहीं अंकल।

कोई है जेल में, कोई बेल लेकर आये हैं
कप्तान टीम के क्या खेल लेकर आये हैं
तुम्हारे रथ का पहिया धंसा है दलदल में
सूर्यास्त हो न जाये, तीर लेकर आये हैं।

ढकोसलों से नहीं, सत्य से करो बातें
नहीं भूलें हैं, न भूलेंगी वो स्याह रातें
तड़प तड़प के पुकारा था तुम्हें जाफ़री ने
मदद के बदले लुटेरों को भेज देते थे
इसी माता की संतान थे वो सब के सब
जिन्हें तुम जलते हुए मार फेंक देते थे
कहाँ था देश तुम्हारा कहाँ वो भक्ति थी?
चलो पुरानी है बात रात गई बात गई
मगर जो आज हुआ राजकोट के अन्दर
जला के ख़ाक हुआ है ग़रीबों का घर
कटा है रेल की पटरी पर, वो क्या है
ग़रीब मर रहा है तुम्हारे आँगन में
किसान प्यासा है तुम्हारे ही घर में
दमन-गंगा का दमन हो रहा है पापी
ज़हर नदी है, नदी है ज़हर ज़हर वापी
विषाक्त खून सा पानी निकल के आता है
किसान धरती से पानी नहीं अब पाता है।
गरीब बच्चियां खरीदी बेचीं जाती हैं
गली गली में अवैध शराब बिकती है
चराएँ घास कहाँ पर मवेशी चरवाहे
लूट लेते हैं उद्योगपति हर धरती
ब्रैन्डिंग लाख करो, या बुला लो बच्चन
नहीं तुम दे सके हो किसी को जीवन
कुपोषण है, कोई सौन्दर्य नहीं है ज़ालिम
कहाँ से पाई है ये सोच, कहाँ की तालीम?
भला बताओ लोकायुक्त वहां नहीं क्यों है?
भ्रष्ट के पास ही आचार संहिता क्यों है?
लगी है आग बुझा न पाएंगे दमकल
गिलास आधा है आधे हवा में हैं अंकल।
तुम्हारी हर कही बातें गधे की ढेंचू है
देश जानता है अंकल बड़ा ही फेंकू है…
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