राजस्थान की मुफ़्त दवा योजना के बारे में पढ़ रहा था । लेख
बताता है कि 2009-10 में चित्तौड़ के कलेक्टर डा समित
शर्मा ने कुछ डाक्टरों से मिलकर जेनरिक दवाओं की सूची बनाई ।
पाया कि दवाओं के थोक और बाज़ार मूल्य में पाँच प्रतिशत से
तीन हज़ार प्रतिशत तक का अंतर है । जब यह योजना लागू हुई
तो चित्तौड़गढ़ के सेवानिवृत्ति कार्मिक पेंशन फ़ंड में दस महीने में
बत्तीस लाख रुपये की बचत हुई । ग़रीब मरीज़ झोला छाप
डाक्टरों को छोड़ अस्पताल आने लगे । उसके बाद स्वयंसेवक
संगठनों ने इस योजना को राज्य भर में लागू करने के लिए खूब
धरना प्रदर्शन किया । मार्च 2011 में गहलोत ने पूरे राज्य में
लागू किया । मात्र 300 करोड़ की सब्सिडी से नागरिकों की जेब
से करीब 2500 करोड़ बचत हुई । चुनावी राजनीति में इस
योजना का क्या हश्र हुआ सब जानते हैं । डा सुमित शर्मा जैसे
अफ़सर ने कितने लोगों को राहत दी ।
तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सूझबूझ से तुरंत पूरे
राजस्थान मे इस योजना को लागू कर
दिया गया ,मुख्यमंत्री गहलोत ने ये निर्णय करने मे कोई
देरी नहीं की जिसकी प्रशंसा पूरे भारत मे हुई ।
इसके बाद गहलोत ने जाँचे भी फ्री करवा कर राजस्थान मे वाही-
वाही लूटी ,जिसके करोड़ो गरीब लोगो को लाभ होने लगा
पर नई वसुंधरा सरकार के समय ये योजना मुसकिल नजर आ
रही है ,अस्पतालो ने दवाई सप्लाई बंद हो गई है काँग्रेस नेताओ
का आरोप है की वसून्ध्रराजे ने योजना बंद करने की पूरी प्लानिंग
बना ली है ।
neel sharma
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