मुंडे-महाजन के लिए अनलकी था नंबर 3?

71372487328_gopinathmundeindelhi295क्या नंबर 3 मुंडे और महाजन परिवार के लिए दुर्भाग्य का प्रतीक है? गोपीनाथ मुंडे की मौत के बाद यह सवाल कई लोगों के जेहन में उभरा है। इसकी वजह भी है, क्योंकि मुंडे से पहले ही बीजेपी के एक और कद्दावर नेता और मुंडे के रिश्तेदार प्रमोद महाजन की मौत की तारीख 3 मई 2006 थी। इतना ही नहीं, अपने भाई प्रमोद महाजन की हत्‍या के आरोप में जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे प्रवीण महाजन की मौत भी 3 मार्च 2010 को हुई थी।

गोपीनाथ मुंडे के मामले में नंबर 3 एक और तरह से भी प्रभावी नजर आता है। मराठवाड़ा से आने वाले और करियर की पीक पर पहुंचकर असमय मृत्यु को प्राप्त होने वाले वह तीसरे नेता हैं। उनसे पहले प्रमोद महाजन और विलासराव देशमुख की मौत भी अपने राजनीतिक करियर की ऊंचाई पर पहुंचकर ही हुई थी। इसे मराठवाड़ा की बदनसीबी ही कहा जाएगा कि जब उसके नेता मराठवाड़ा के लिए कुछ करने लायक हुए तो उनका जीवन शेष नहीं रहा।

मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद तक पहुंचने वाले बीजेपी के सीनियर नेता गोपीनाथ मुंडे मराठवाड़ा की तिकड़ी में शामिल आखिरी नेता थे, जिन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में अहम मुकाम हासिल किया। अब उनकी भी मौत से इस पिछड़े क्षेत्र में एक शून्य पैदा हो गया है।  3 नंबर की तारीख प्रमोद महाजन के सचिव के लिए भी मौत की तारीख बनकर आई थी। प्रमोद महाजन की मौत के ठीक एक महीने बाद ही, 3 जून 2006 को नई दिल्‍ली के एक होटल में प्रमोद महाजन के सचिव विवेक मोइत्रा की मौत हो गई, और उनके बेटे राहुल महाजन होटेल के कमरे में बेहोश पाए गए। बताया जाता है कि दोनों ने होटल में ही ड्रग्‍स कंज्‍यूम की। ओवरडोज की वजह से जहां मोइत्रा की मौत हो गई, तो वहीं राहुल बेहोश हो गए थे।

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