शनिवार को आईएएस अधिकारियों के तबादले की दैनिक भास्कर में छपी खबर को सही मानें तो उसका क्लीयर कट अर्थ ये है कि प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अशोक जैन ने चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जो कदम उठाए, उससे भाजपा को सीधा सीधा लाभ पहुंचा। भले ही उन्होंने ऐसा भाजपा के हितों के लिए नहीं किया हो, मगर उससे भाजपा को तो लाभ हुआ ही है। ऐसे में यह सवाल तो उठता ही है कि कहीं उन्होंने मतदान प्रतिशन बढ़ाने की आड़ में भाजपा के हितों का ख्याल रखा?
खबर में लिखा है कि पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में निर्वाचन विभाग में लंबा समय बिताने वाले अशोक जैन को अब महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। जैन ने युवा मतदाताओं को निर्वाचन व मतदान प्रक्रिया से जोडऩे में अहम भूमिका निभाई थी, जिसका विधानसभा चुनाव में भाजपा को फायदा हुआ। ऐसे में उन्हें नगरीय विकास जैसे अहम विभाग का जिम्मा देकर उपकृत किया गया है। खबर से साफ इशारा मिलता है कि उन्होंने यूं तो मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अनेक उपाय कर लोकतंत्र को मजबूत किया है, जो कि सराहनीय काम है, मगर उनका मकसद ये था कि भाजपा को लाभ पहुंचे। इसका अर्थ ये निकाला जा सकता है कि वे भलीभांति जानते थे कि कांग्रेस सरकार के विरुद्ध चल रही एंटी इंकम्बैंसी और कांग्रेस विरोधी लहर के चलते मतदान प्रतिशत जितना बढ़ाया जाएगा, उसका सीधा लाभ भाजपा को होगा। दैनिक भास्कर ने उन्हें जिस प्रकार उपकृत करने की बात कही है, वह अपने आप में काफी गंभीर है। हालांकि इस प्रकरण को इस तरह भी देखा जा सकता है कि जैन ने काम तो लोकतंत्र की मजबूती के लिए किया, मगर उसका लाभ चूंकि भाजपा को मिला, इस कारण मुख्यमंत्री ने खुश हो कर उन्हें उपकृत किया है। जो भी हो, इस खबर ने जैन की भाजपा के प्रति निष्ठा का संदेह तो उत्पन्न कर ही दिया है।
1 thought on “यानि सीईओ अशोक जैन ने भाजपा को लाभ पहुंचाया?”
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मीडिया का भी किसी बात को पेश करना एक कलाबाजी है यदि भास्कर यह बात नहीं लिखता कि उनकी अपील से वोट प्रतिशत बढ़ने के कारण यह इनाम उन्हें मिला तो कोई बात न बनती आखिर उन्होंने अपना काम किया पर उसमें कुछ न कुछ ढूँढना हमारी आदत है आखिर अशोक जैन की नियुक्ति गहलोतसरकार ने की थी यदि कांग्रेस सत्ता में आती तो उन्हें उसका पक्षधर बताया जाता ट्रांसफर सरकार के कार्य में एक सामान्य पद्धति है उसमें क्या अच्छा क्या बुरा विभाग पर कुछ न कुछ बात ढूँढना हम नहीं छोड़सकते। यह कह कर आप उन मतदाताओं का अपमान कर रहे हैं व उनकी चुनाव संबंधी योग्यता पर शक.