सिंधियों के लिए आजादी के मायने?

IMG-20140816-WA0085जब पूरा भारत आजादी का जश्न मना रहा था। तब हम सिंधी अपने वजूद को बचाने के लिए खाली हाथ निकल पड़े थे। आजादी का ये जश्न हमारे लिए सिंध जीजल से बिछड़ने का गम भी लेकर आता है। जीये सिंध जीये हिंद।
क्या सिन्धी समाज इतना भुलक्कड़ हो गया की अपने पुरखों की शहादत के दिवस को आजादी के दिवस के रूप में मना रहा है या हम सब ने कमजोर होने का नाटक करके अपने उन बड़े बुजुर्गो के बलिदान को भुला देने का फैसला किया है?
क्यों हमारा समाज ये भूल जाता है की आज ही के दिन हमारे दादा परदादा लुट रहे थे,पिट रहे थे, माताओं बहनों की इज्जत की नीलामी ये मुल्ले बीच बाजार कर रहे थे और आज हम आजादी का जशन मनाते है।
अपनी पूरी ज़िन्दगी में रात दिन और खून पसीना बहाके कमाया हुआ धन दौलत सब लुट गया अपना। एक एक सिन्धी उस समय ज़मींदार होता था लेकिन आज ही के दिन उन मुल्लो ने सब लूट लिया उनसे और बना दिया बंजारा । क्या ये हमारे लिए ख़ुशी का दिन था जो हम आज खुश होकर लड्डू बाँट ते है और खाते है?
हमारे समाज के आदमियों को लेकर लगातार 4 ट्रेने लाहौर से हिंदुस्तान आई तो सही लेकिन एक भी सिन्धी उसमे जिंदा न आ सका क्या हमको इस बात पर आज के दिन गर्व करना चाइये ?
ए सिन्धी मानुषो कभी सोच के देखो क्या क्रूर समय रहा होगा वो जब हमारे पूर्वज राजा से रंक बना दिए गए
जरा महसूस करो उनकी बिछोह की पीड़ा को
कैसे उन्होंने उस समय बिना कपड़ो के बंजारों भांति जीवन काटा होगा
कैसे बिना खाए पिए समय निकाला होगा ।
क्या हम उनकी कुर्बानियां इतनी जल्दी भूल गए ?
अगर हाँ तो बड़े ही शर्म की बात है, आज अपने पूर्वजो का शहादत दिवस न मनाकर उनके मरने पर ख़ुशी ख़ुशी लड्डू खाते है।
।।जय सिन्धियत।।
।।जय हेमू कालाणी।।
।।जय झुलेलाल।।
Daulat Laungani
whats app

error: Content is protected !!