फादर डे कोई तवज्जो ही नहीं दे रहा कोई मैसेज ही नहीं आ रहै,जैसे मदर्स डे पर आते है , लोग मकान का नाम भी मार्त कृपा रखते है ,बाप के नाम पर तो कम ही पाखंड होता है गाडियों पर मां का आशीर्वाद लिखवाते है जबकि गाडी खरीदने में पैसा बाप का लगा होता है ….बेचारा बाप …शुरू से ही मां कहती है आने दे तेरे पापा को आज मार पडवाऊंगी औऱ बच्चे के कोमल मन में बाप की छवि एक जल्लाद की सी बन जाती है औऱ फादर डे पीट जाता है मदर डे के मुकाबले आऔ आज हम सब मिल कर सन्कल्प लें कि फादरनीय भी आदरणीय है।उसको भी प्यार दें मान दें जैसा मां को देते है ,
राजेश टंडन अजमेर।