किनके है उनका पैसा, कहाँ जाता है ?

pushkar 21पुष्कर सरोवर में आज जल की आवक होने से हम सब प्रफुल्लित हो रहे हे अच्छी बात है होना वाजिब ही है हमारे अन्नदाता है इन्ही की बदौलत सारे गाजे बाजे है मगर आज जो निर्दोष मूक प्राणी जिन्हें कुछ लोग आवारा कहते है यह उचित नहीं है यह आवारा विचरण कर रही है जिसके जिम्मेदार कुछ हद तक इनके पालनहार है जो की दूध देती है तब तक इनकी देखभाल करते है पश्चात आवारा विचरण करने हेतु नगर में छोड देते है जो भूख की मारी इधर उधर बाजार में घाटो पर अपनी उदरपूर्ति हेतु भटकती रहती है । इसी क्रम में आज पुष्कर में बारिश के दौरान यह मूक प्राणी भी पानी के बहाव को सहन नहीं कर पाने के कारन सरोवर में बहकर आ गयी जिनमे से कुछ को तो जागरूक बंधुओ द्वारा बचा लिया गया बाकि 2 गाये काल के ग्रास में समा गयी ।
अब बात आती है इसके जिम्मेदार कौन ? मेरे व्यक्ति्गत विचार लिखू तो काफी हद तक हम स्वयं ही इसके जिम्मेदार है जो केवल व्यवस्था के अभाव की दुहाई देकर अपना पल्ला झाड़ लेते है लेकिन कभी सामूहिक प्रयास नहीं किया की इनका संरक्षण किस तरह मिल बैठकर किया जा सकता है । आज हम देखते है की पुष्कर के प्रायः सभी मुख्य घाटो पर गौ सेवा के नाम से कितने दान पात्र रक्खे हुए है वो किनके है उनका पैसा कहाँ जाता है ? अगर हम एक समिति बनाये उसको रजिस्टर्ड करवाकर राज्य सरकार से उचित अनुदान भी प्राप्त कर सकते है तो कुछ पैसा अनुदान से बाकि मुख्य घाटो पर रक्खे दान पात्रो से इक्कठा करके पश्चात जनसहयोग से इक्कठा करे तो इस तरह सामूहिक प्रयास किया जाये तो मेरा मानना है की हम इनकी सेवा कर सकते है । इस हेतु हमें ही अर्थात पुष्कर के जागरूक लोगो को ही आगे आना होगा ओर मिल जुलकर ही इस तरह का कोई उदाहरण देना होगा केवल बातो से ,लिखने से यह होने वाला नहीं है सामूहिक प्रयास तो करना ही होगा आज नहीं तो कल करना होगा दानदाताओ की कोई कमी नहीं है उन्हें विश्वास दिलाना होगा आपका पैसा सत्कर्म में ही लग रहा है अपुष्ट सूत्रो से ज्ञात हुआ की चंद लोग इस प्रकार के कार्य स्वयं द्वारा करना बताकर वेबसाइट बनाकर पैसा भी इक्कठा कर रहे है सत्यता क्या है कह नहीं सकता ।
मगर सब बातो को भूलकर अच्छी सोच के साथ एक सामूहिक प्रयास करना होगा ।
यह मेरे निजी विचार है कृपया इसे अन्यथा न ले कोई त्रुटि हो तो क्षमा करे ।
महेश पाराशर
पुष्कर

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