नगर निगम के चुनाव में कई दावेदारों की हालत उस बालक की तरह हो गई है जो दो घंटे पहले आ कर बारात की बस में अपनी सीट रोक के बैठा हो। जैसे ही बस रवाना होने लगे और काकाजी आ कर बोलें- ‘चाल पप्पुडा, खड़ो हू जा ….फूफाजी नें बैठबा दे!’
बड़ी अजीब स्थिति है साब! जो खड़ा होना मांग रहे थे वो बैठा दिए गए और जो बैठे थे वो खड़े कर दिए गए।
जिनका टिकिट पक्का था उनका उनका पत्ता कट गया और जिनका पत्ता चल गया उनका सट्टा लग गया।
मजे की बात तो ये भी है कि ड्राइवर को पता ही नहीं चल रहा है कि ३६ के आंकड़े की बस उत्तर की ओर ले जानी है या दक्षिण की ओर।
बरातियों को भी मालूम नहीं पड़ रहा है कि दूल्हा कौन है ?
उधर दूल्हे भी सोच रहे हैं कि फेरे किसके होंगे ?
इधर पब्लिक अपनी अपनी छतों पर आ कर बारात निकलने का इंतजार कर रही है।
Lavesh parashar