टाटा ने मोदी सरकार को नसीहत दे डाली

modiदो दिन पहले रतन टाटा ने “असहिष्णुता” के मामले पर मोदी सरकार को नसीहत दे डाली ।

मजे की बात देखिए इस बार कोई गाली गलौच नहीं, कोई विरोध नहीं, कोई बयानबाजी नहीं, कोई राग द्वेष नहीं ।

दंगल / दिलवाले का विरोध करने वाले और स्नैपडील की एप अनइंस्टॉल करने वाले न तो टाटा के ट्रकों पर गुस्सा निकाल पा रहे है और न “सबसे शुध्द नमक, जिसका दाना दाना एक समान” पर । न तो अपने घर की दीवारों को तोड़कर टाटा स्टील के सरिये उखाड़ कर फेंक रहे है और न इंडिकॉम के हैण्डसेट दीवार पर दे मारने के ईच्छुक दिख रहे है ।

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के इशारों पर काम करने वाली सोशल मीडिया गुंडों की टीम अमीर खान, शाहरुख़ खान पर टूट पड़ी लेकिन रतन टाटा की नसीहत पर चुप्पी ने ये साफ़ कर दिया कि देश के नामी उद्योगपतियों को देखने और समझने का नजरिया भाजपा में “अलग” है । दुसरे शब्दों में कहे तो उद्योगपतियों को लेकर भाजपा काफी “सहिष्णु” है ।

हो भी क्यों न ! आखिर उद्योगपतियों के टुकड़ों पर पलने वाले खुद ही उद्योगपतियों से पंगा लेने से रहे । चुनाव के समय इन्ही के पैर धो कर पीने होते है अपनी महाहुंकार, चीत्कार, गर्जना टाइप रैलियों की फंडिंग के लिए ।

शायद जानते है रतन टाटा को लेकर ज़रा भी “असहिष्णुता” दिखाई तो न सिर्फ सरकार चुटकियों में मुँह के बल आ गिरेगी, बल्कि अगली 70 पीढ़ियों तक चुनाव लड़ना तो दूर, वोट भी देने को नसीब नहीं होगा ।

MODIfied भाजपा की “बिकी हुई सोच” एक बार फिर उजागर हुई ।
मनीष शर्मा अजमेर

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