कल रात से पहले जो स्वम्भू देश के भक्त खूब चिल्ला चिल्ला कर हर हर मोदी कर रहे थे सुबह होते होते उनकी आवाज़ ठंडी पड़ रही है
क्योंकि वास्तविकता का सामना और भक्ति में लीन होकर कीर्तन करना अलग अलग बातें हैं , और आज ये पुनः ये सिध्द हो गया ।
मेरे मन में ये 3 सवाल उपज रहे हैं जिनका जवाब शायद आप में से किसी के पास हो , मेहरबानी करके तर्क युक्त जवाब दीजियेगा ।
सवाल प्रथम – यदि काला धन अमीरों के पास है तो, 80 प्रतिशत ग़रीब जिनमे (40 % अत्यंत ग़रीब, 20% ग़रीब और 20% निम्न मध्यम वर्ग) हैं , को क्यों परेशान किया जा रहा है ?
सवाल द्वितीय – आप तो कहते थे कि काला धन विदेश से लायेंगे, आप विदेश से तो कुछ लाये नहीं और तो देश में ही हाहाकार मचा दिया ?
सवाल तृतीय – बैंकर्स का कहना है कि पिछले तीन दिनों में बैंकों में अप्रत्याशित रूप से 65 हज़ार करोड़ की नकदी विभिन्न खातों में जमा हुई है ।सभी बैंक इस अप्रत्याशित जमा पर हैरान थे और मोदी जी के इस निर्णय से ये गुत्थी भी सुलझ गयी । मतलब साफ है कुछ वर्गों को इस निर्णय के बारे में इशारा कर दिया गया था ताकि वे स्वयं को सुरक्षित कर लें
संकेत स्पष्ट है – जनता मुर्ख है उसे नारेबाजी में उलझाये रखो ताकि असली समस्याओं पर ध्यान हट जाए और बहस हो ही नहीं ।
उक्त लेख मेरे एक दोस्त के वाल से मैंने कॉपी किया है क्योंकि मुझे लगता है कि इनके पोस्ट में जो 3 पॉइंट हैं वो काफी महत्वपूर्ण हैं ।
यहाँ इस पोस्ट का उद्देश्य मोदी जी की बुराई नहीं बल्कि उनके इस कार्यप्रणाली को समझने के लिए है।
धन्यवाद ।
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