रासासिंह जी ने उड़वाई अपनी खिल्ली

अजमेर बंद के दौरान भारतीय जनता युवा मोर्चा के कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा कांग्रेस कार्यालय में कालिख पोतने वाले मामले में हुआ घटनाक्रम दिलचस्प मोड़ पर आ गया है। सभी नामजद आरोपियों के सरंडर करने और छीन कर ले जाए गए मोबाइल की बरामदगी के साथ ही कांग्रेसी हावी हो रहे हैं। ज्ञातव्य है कि इस सिलसिले में शहर भाजपा अध्यक्ष रासासिंह रावत ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ ज्ञापन दिया था कि भाजपा कार्यकर्ताओं पर लूटपाट का झूठा मुकदमा दर्ज करवाया है। ऐसे में शहर कांग्रेस उपाध्यक्ष कैलाश झालीवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि मोबाइल बरामदगी ने भाजपा के दावे व आरोपों को झुठला दिया है। गलतबयानी कर जनता को गुमराह करने के लिए भाजपा को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
असल में रावत तो घटना वाले दिन ही माफी मांग चुके थे। कांग्रेस की सदाशयता इसी में थी उनकी ओर से मुकदमा दर्ज नहीं करवाया जाता। जब मुकदमा दर्ज हो गया तो रावत पर दबाव पड़ा कि वे अपने कार्यकर्ताओं के बचाव करें। ऐसे में मजबूरी में उन्होंने ज्ञापन दिया। ज्ञापन में लगाया गया आरोप निराधार साबित हो गया। कानाफूसी है कि रावत थोड़ी भी समझदारी रखते तो इस प्रकार उनकी खिल्ली नहीं उड़ती। रहा सवाल भाजपा के इस आरोप का कि जो कार्यकर्ता घटना में शामिल नहीं थे, उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं, वह अब भी कायम है। पुलिस ने भले ही उस पर ध्यान नहीं दिया हो। असल में मामला नामजद होने के कारण एक बार तो गिरफ्तारी होनी ही थी, इस कारण आरोपियों ने आखिरकार सरेंडर करना ही बेहतर समझा। अब देखना ये है कि पुलिस वाकई निष्पक्ष जांच करती है या सत्तारूढ़ कांग्रेस के दबाव में आरोपियों के खिलाफ चालान पेश करती है।

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