राज्य के एक बड़े अखबार में यह बयान छपा:-
जनता ने कांग्रेस को कूड़ेदान में फेंक दिया है। ये लोग यूपी में हारे, धौलपुर में हारे और अब दिल्ली में भी इनका सफाया हो गया। फिर भी ये नहीं समझ रहे हैं। मैं इन्हें हुड़दंगी ही कहूंगा। नेता प्रतिपक्ष अपनी पार्टी के विधायकों को कंट्रोल में नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि इनमें खुद में गुटबाजी चल रही है। विधायकों का व्यवहार गैर मर्यादित एवं अनुशासनहीन था।
-कैलाश मेघवाल, अध्यक्ष
मसला ये था कि विधानसभा में कांग्रेसी और निर्दलीय विधायकों ने वैल में आकर जमकर हंगामा किया। कार्यवाही 2 घंटे में तीन बार रोकनी पड़ी। फिर भी हंगामा नहीं थमा तो अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने दोपहर डेढ़ बजे 14 विधायकों को निलंबित कर दिया। इनमें 12 कांग्रेस तथा एक बसपा एक निर्दलीय विधायक था। बाद में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक प्रद्युम्नसिंह, नारायणसिंह द्वारा मध्यस्थता करने और अध्यक्ष के अलावा सीएम, गृहमंत्री से वार्ता के बाद शाम 5.40 बजे कांग्रेस के 12 विधायकों का निलंबन एक साल से घटा कर एक दिन कर दिया गया। निर्दलीय हनुमान बेनीवाल और बसपा के मनोज न्यांगली की निलंबन वापसी अध्यक्ष के समक्ष माफी मांगने के बाद उनके विवेक पर छोड़ दी गई।
बहरहाल, मैं इस बयान को पढ़ कर बार-बार पढ़ता रहा। एक-एक शब्द को गौर से पढ़ा। कितना मर्यादित और पदानुकूल बयान है। वाकई वे धन्य हैं।
-तेजवानी गिरधर
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