एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं अन्ना व अरविंद

कानाफूसी है कि जिस राजनीतिक पार्टी बनाने को लेकर अन्ना हजारे व अरविंद केजरीवाल की राहें अलग हुई थी, उसी के उम्मीदवारों के समर्थन करने की घोषणा अन्ना हजारे ने कर के यह साफ कर दिया है कि दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। ऊपर से भले ही मतभेद जता रहे हैं, जबकि अंदर ही अंदर मिले हुए हैं। यहां उनकी सोची समझी रणनीति साफ दिखाई दे रही है। अन्ना पहले भी कह चुके हैं कि अगर केजरीवाल की पार्टी के प्रत्याशी अच्छे हुए तो उनका प्रचार जरूर करेंगे। अन्ना ने इससे पहले कहा था कि अगर अरविंद कपिल सिब्बल के खिलाफ खड़े होते हैं तो वह उनका प्रचार जरूर करेंगे। उधर केजरीवाल भी बार-बार कहते रहे हैं कि अन्ना उनके लिए पिता तुल्य हैं और उन्हें पूरा विश्वास है कि वे उनका साथ देंगे। अरविंद ने कहा था कि अन्ना जब उनका काम देखेंगे तो जरूर उनका साथ देंगे। अरविंद की बात सही साबित हो रही है।
सब जानते हैं कि अरविंद ही अन्ना के आंदोलन के वास्तुकार थे। दोनों के अलग होने के बाद अन्ना का आंदोलन कहीं पीछे छूट गया और अरविंद अपनी रणनीतिक के मुताबिक आम आदमी पार्टी बनाकर एक मुकाम पर पहुंच गए हैं। अन्ना की शुरू से यह नीति रही कि वे मैदान के बाहर रह कर मैदान के फैसले करना चाहते हैं। ताजा हालत में उन्हें लगता है कि अगर केजरीवाल जैसे कथित साफ सुथरे व्यक्ति का भी साथ नहीं दिया तो वे बहुत पिछड़ जाएंगे। इसी कारण कह दिया कि वे केवल केजरीवाल के उम्मीदवारों के लिए ही प्रचार करेंगे। उन्होंने केजरीवाल के बारे में कहा कि मैं केजरीवाल को जानता हूं। उसने अपने लिए कुछ नहीं किया है। वह जो कुछ भी कर रहा है वह देश के लिए ही कर रहा है। उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि वह उम्मीदवारों की जांच करेंगे और सही पाए जाने पर उनका साथ देंगे।

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