राजस्थान पर्यटन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह राठौड को जब लोकसभा चुनाव के लिए अलवर का समन्वयक बनाया गया तो यह माना जा रहा था कि अब वे अजमेर की राजनीति में दखल नहीं दे पाएंगे। उन्हें समय ही नहीं मिलेगा। बावजूद इसके वे गाहे बगाहे अजमेर आ कर यहां अपनी सक्रियता बरकरार रखे हुए हैं। पिछले दिनों जब उनकी अजमेर संसदीय सीट पर दावेदारी की चर्चा हुई तो सहसा किसी को यकीन नहीं हुआ। कोई गंभीरता से नहीं ले रहा था। लेकिन हाल ही राज्य स्तरीय मीडिया उनको गंभीर दावेदार बता रहा है। यह मीडिया मैनेजमेंट भी हो सकता है, मगर समझा जाता है कि भले ही वे गंभीर दावेदार के रूप में काउंट न हो रहे हों, मगर अपना नाम पैनल में तो शामिल करवाने में कामयाब हो गए हैं। असल में उनको गंभीरता से इललिए नहीं लिया जा रहा कि वे अशोक गहलोत के खासमखास हैं, तो सचिन पायलट अपनी कर्मस्थली में कैसे आने देंगे। लेकिन पिछले दिनों उन्होंने यह कहा कि अगर पायलट अजमेर से चुनाव लडते हैं तो सभी आठों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को बढत हासिल होगी, तो सब चौंके। सवाल उठा कि क्या वे सचिन से नजदीकी हासिल करना चाहते हैं।