आडवाणी की गडकरी के नाम पर फच्चर

कानाफूसी है कि वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भाजपा अध्यक्ष पद पर नितिन गडकरी की दुबारा ताजपोशी के मामले में फच्चर फंसा दी है। ऐसी स्थिति में संघ को एक बार फिर से गडकरी के लिए आमराय कायम करने के लिए कवायद करनी पड़ रही है।
असल में संघ अब भी यही चाहता है कि गडकरी को ही दुबारा से भाजपा की कमान सौंपी जाए। वे संघ के प्रमुख फाइनेंसर जो हैं। अपने इस गेम प्लान को कामयाब करने के लिए उसने भाजपा नेताओं के समक्ष प्रस्ताव रखा कि वे सभी आपस में तय करके एक नाम पर सहमति जता दें। जाहिर सी बात है आपसी मनमुटाव चलते यह संभव नहीं। ऐसे में संघ को गडकरी को दुबारा थोपने का मौका मिलता नजर आ रहा था। मगर इसी बीच आडवाणी ने इस बात पर दबाव बनाया है कि अगर आगामी विधानसभा चुनावों व लोकसभा चुनाव में पार्टी को सकारात्मक परिणाम हासिल करने हैं तो गडकरी का विकल्प तलाशना ही होगा। तर्क ये दिया कि नितिन गडकरी का अब तक परफोरमेंस अच्छा नहीं रहा है। उत्तर प्रदेश में भाजपा हार गई और उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में भी भाजपा दोबारा सत्ता में नहीं लौट पाई। आडवाणी के इस नए पैंतरे से संघ और भाजपा दोनों खेमों में हड़कंप मचा हुआ है। समझा जाता है आडवाणी ने यह चाल इस कारण भी चली है कि वे इसके एवज में कोई सौदा करना चाहते हैं। कुछ इसी प्रकार का सौदा पहले भी हो चुका है। आडवाणी ने नेता विपक्ष की गद्दी छोड़ते वक्त नितिन गडकरी के नाम पर तभी सहमति जताई, जबकि उनकी शिष्य सुषमा स्वराज को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाने पर संघ ने सहमति दी। इस बार भी कुछ ऐसा ही होता दिखाई दे रहा है।

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