कानाफूसी है कि कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमती सोनिया गांधी आगामी लोकसभा चुनाव की स्वतंत्र कमान राहुल गांधी को देने में झिझक रही हैं। राहुल की अब तक की परफोरमेंस को गिनाते हुए वरिष्ठ नेता उन पर दबाव बना रहे हैं फिलहाल वे ही बागडोर संभालें। तर्क ये है कि एक तो आम जनता में राहुल का प्रभाव कुछ खास नहीं है और दूसरा पार्टी में भी उनकी सर्व स्वीकार्यता कठिन नजर आती है। वस्तुत: वरिष्ठ नेताओं को डर है कि अगर राहुल को फ्री हैंड दे दिया गया तो जाहिर तौर पर वे अपनी नई जाजम बिछाएंगे, जिससे वे हाशिये पर धकेले जा सकते हैं। हालांकि सोनिया अपने स्वास्थ्य कारणों और राहुल के भविष्य के मद्देनजर राहुल को ही तरजीह देना चाहती हैं, मगर ताजा राजनीतिक माहौल इसकी इजाजत नहीं दे रहा। कांग्रेस के अंदर चल रही इस नई कानाफूसी से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी राहत मिलती नजर आ रही है। असल में जितना सोनिया उन्हें चाहती हैं, उतना राहुल नहीं। राहुल की रुचि स्वाभाविक रूप से अपने किसी युवा साथी को आगे लाने की है। सोनिया के वरदहस्त की वजह से ही गहलोत विरोधियों को कामयाबी नहीं मिल रही। नई खबर के बाद से गहलोत विरोधियों के हौसले कुछ कमजोर हुए बताए जाते हैं।