गडकरी को लखनऊ दौरा रास नहीं आया

गडकरी को लखनऊ दौरा रास नहीं आया, उनके लखनऊ की सरजमी पर कदम पड़ते ही उनके साथ एक के बाद एक अनहोनी होती गई। जैसे ही वह हवाई अड्डे से बाहर निकले प्रोन्नति में आरक्षण का विरोध कर रहे लोगों ने उन्हें काले झंडे दिखाना शुरू कर दिया, उनसे बचते-बचाते वह अटल शंखनाद रैली में भाग लेने के लिए लखनऊ के झूले लाल पार्क पहुंचे तो वहां उनके स्वागत के लिए बनी फूल माला टूट गई। यह माला लखनऊ के कुछ कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उनके स्वागत के लिये बनवाई थी। स्वागताध्यक्ष राम नरायन साहू, राजीव मिश्र, विजय पाठक, मनीष दीक्षित आदि नेता जब नितिन गडकरी के साथ-साथ, भाजपा में लौटे कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह को माला पहनाने लगे तो उसमें इतने नेताओं ने अपना सिर डाल दिया कि माला ही टूट गई। उसी समय कहा जाने लगा कि माला का टूटना शुभ संकेत नहीं है।
उस समय तो इस बात पर किसी ने विशेष ध्यान नहीं दिया, लेकिन इसके बाद तो गडकरी पर मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा। वह लखनऊ से मुम्बई स्वामी विकेकानंद की स्मृति में आयोजित एक समारोह में भाग लेने पहुंचे तो उनका सामना भाजपा के दिग्गज नेता और उनके (नितिन गडकरी) दूसरे कार्यकाल का विरोध कर रहे लाल कृष्ण आडवाणी से हो गया, दोनों की कुर्सी अगल-बगल थी, एक बार दोनों की नजरें भी मिलीं लेकिन गडकरी की बॉडी लैंग्वेज से लग रहा था कि वह आडवाणी के साथ अपने आप को असहज महसूस कर रहे थे। समारोह निपटा भी नहीं था कि गडकरी के ठिकानों पर आयकर विभाग की टीम पहुंच गयी। आयकर अधिकारी नितिन की कम्पनियों में धांधली का पता लगाने के लिए के लिये उनके कम्पनी का सर्वे करने आये थे। मात्र 23 घंटे में हालात इतने खराब हो गये कि उन्हें अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ गया तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को भी गडकरी को अध्यक्ष बनाने की जिद्द छोड़नी पड़ गई।

Comments are closed.

error: Content is protected !!