कानाफूसी है कि जिले के कुछ नेता इन दिनों प्रदेश में गठित होने वाली विधान परिषद में जाने के लिए अपने-अपने आकाओं के देवरे ढ़ोक रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से वे नेता शामिल हैं, जो या तो पिछले विधानसभा चुनाव के टिकट के प्रबल दावेदार होने के बावजूद वंचित रहे गए थे या फिर जिन्हें लगता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भी उनका नंबर नहीं आएगा। कानाफूसी ये भी है कि अजमेर में पिछले चुनाव के दौरान उठे सिंधी-गैर सिंधीवाद की वजह से हार को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस सिंधी और वैश्यों में तालमेल बैठाने का फार्मूला तलाश रही है। यदि यहां से किसी गैर सिंधी को टिकट देने का मानस हुआ तो किसी सिंधी को परिषद का सदस्य बनाया जाएगा और यदि सिंधी को टिकट देना तय किया गया तो वैश्यों में से किसी एक सर्वसम्मत नेता को विधान परिषद में भेजा जाएगा। समझा जाता है कि विधान परिषद का गठन मार्च 2013 तक हो सकता है।
-तेजवानी गिरधर