पचपदरा से न सही, ब्यावर से चुनाव लडऩे की कानाफूसी है वैभव गहलोत की

vaibhav gehlot 1मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भले ही बाड़मेर जिले की फीडबैक बैठक में रिफायनरी को लेकर लगे इस आरोप का खंडन करना पड़ा हो कि उनके पुत्र वैभव गहलोत से चुनाव नहीं लड़ाया जा रहा है, मगर कानाफूसी है कि वे वैभव के लिए ब्यावर की जमीन तो तलाश रहे हैं। ज्ञातव्य है कि यूं तो कांग्रेस के पास ब्यावर में कई छोटे-मोटे स्थानीय दावेदार हैं, मगर इनमें से दमदार कोई नहीं। यानि कि मैदान खाली है। केवल पूर्व विधायक डॉ. के. सी. चौधरी कुछ दमखम रखते हैं, मगर पिछली बार उन्होंने बगावत की और कांग्रेस हार गई। कांग्रेस ने वहां रावत कार्ड खेला, मगर चौधरी की वजह से फेल हो गया। भाजपा के शंकर सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय प्रत्याशी के.सी. चौधरी को 37 हजार 414 मतों से हराया। कांग्रेस के मूल सिंह को 19 हजार 379 वोट ही मिले। असल में वहां शहरी व ग्रामीण मतदाताओं में धु्रवीकरण होता रहा है। हालांकि लोकसभा चुनाव में चौधरी को सचिन पायलट वापस ले आए, मगर चूंकि बागियों को टिकट न देने का फार्मूला बनाया गया है, इस कारण चौधरी को टिकट मिलना कठिन ही है। वैसे वे बड़े सौदागर है, दावा छोडऩे की एवज में कुछ न कुछ ले ही पड़ेंगे। ऐसे में संभव है वैभव गहलोत को आजमाया जाए।
ज्ञातव्य है कि बाड़मेर जिले की फीड बैक बैठक में रिफाइनरी को लेकर लगे आरोपों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस नेताओं को जवाब देना पड़ा। बैठक में असंतुष्ट विधायक कर्नल सोना राम ने रिफाइनरी का मामला उठाया थ। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे इस बात का दुख है कि मेरे बेटे के पचपदरा से चुनाव लडऩे की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। भाजपा नेताओं के आरोपों में कांग्रेस के नेता भी सुर मिला रहे हैं कि मेरे बेटे के पचपदरा से चुनाव लड़ाने की तैयारियों के चलते ही रिफाइनरी को लीलाला से पचपदरा ले जाया गया। जबकि दोनों बातों में कोई संबंध नहीं है। मेरा बेटा पचपदरा से चुनाव नहीं लड़ रहा है। उनके बयान को जरा गौर से देखिए। उन्होंने यह कत्तई नहीं कहा कि उनके बेटे को चुनाव नहीं लड़ाया जा रहा है। केवल पचपदरा के बारे में ही खंडन किया। यानि उनके चुनाव लडऩे की संभावनाएं तो हैं ही।

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