राबर्ट वाड्रा क्या रॉबरी करते हैं?

robart vadraनेहरू गांधी कुल खानदान का दामाद राबर्ट वाड्रा क्या रॉबरी करते हैं? जी बिल्कुल करते हैं लेकिन सड़क पर नहीं, बल्कि अपने जमीन के कारोबार में। वैसे तो हर व्यापारी आज के समय में यही सब करने में लगा हुआ है लेकिन अगर नाम देश के किसी बड़ी राजनीतिक हस्ती के घर परिवार से जुड़ा हो तो चिंता की बात होनी ही चाहिए। हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की एक रिपोर्ट के हवाले से मीडिया ने दावा किया है कि राबर्ट वाड्रा ने किसानों की जमीन की रॉबरी की। कम पैसे में जमीन खरीदकर उसका लैंड यूज बदलवा दिया और उसे कामर्शियल कीमत पर बेंचकर भारी मुनाफा कमा लिया।

मामला उसी गुड़गांव से जुड़ा हुआ है जहां से अशोक खेमका को हटा दिया गया था। वाड्रा के जमीन कारोबार में बरती गई अनियमितताओं का भंडाफोड़ करने वाले आईएएस अधिकारी अशोक खोमका ने आरोप लगाया है कि वाड्रा ने गुड़गांव के शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया और वाणिज्यिक कालोनी के लाइसेंस पर बड़ा मुनाफा हासिल किया।

अशोक खेमका ने वाड्रा-डीएलएफ सौदे की जांच के संदर्भ में पिछले वर्ष अक्तूबर में हरियाणा सरकार की ओर से गठित की गई तीन सदस्यीय जांच समिति के सामने तीन महीने पहले यह विस्तृत विवरण पेश किया था जिस अब मीडिया सामने लाई है। समझा जाता है कि इस रिपोर्ट में खेमका ने वाड्रा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गुड़गांव के शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन के लिए फर्जी लेनदेन किया।

खेमका ने आरोप लगाया है कि वाड्रा ने वाणिज्यिक लाइसेंस पर बड़ी राशि प्राप्त की। आईएएस अधिकारी ने आरोप लगाया कि हरियाणा के शहरी एवं क्षेत्रीय योजना विभाग (डीटीसीपी) ने नियमों एवं नियमन को नजरंदाज करते हुए दलालों के रूप में काम करने से संबंधित सांठगांठ वाले पूंजीवादियों (क्रोनी कैपिटलिज्म) को फलने फूलने की अनुमति दी। खेमका ने आरोप लगाया, ‘‘डीटीसीपी की मदद से वाड्रा ने फर्जी लेनदेन किया।’’ खेमका ने 21 मई को अपना जवाब पेश किया था। इसमें कहा गया है कि 12 फरवरी 2008 के बिक्री के दोनों अनुबंध में वाड्रा की कंपनी ‘स्काईलाइट हास्पिटैलिटी ने ओंकारेश्वर प्रोपर्टीज से जमीन खरीदी और मार्च 2008 में डीटीसीपी की ओर से उनकी कंपनी को वाणिज्यिक लाइसेंस प्रदान करने के लिए जारी आशय पत्र फर्जी लेनदेन है ताकि वाड्रा को बाजार से मुनाफा हासिल हो सके।

उन्होंने सवाल किया, “अगर कोई भुगतान नहीं किया गया जैसा कि पंजीकृत दस्तावेज में आरोप लगाया गया है, तब क्या यह कहा जा सकता है कि उक्त भूमि पर पंजीकृत दस्तावेज में स्काईलाइट हास्पिटैलिटी को स्वामित्व फर्जी बिक्री के माध्यम से दिया गया।” पिछले वर्ष अक्तूबर में वाड्रा और डीएलएफ के बीच जमीन का म्यूटेशन रद्द करने वाले खेमका ने दावा किया कि पंजीकृत दस्तावेत में भविष्य में कोई भुगतान नहीं करने का वायदा किया गया था। समझा जाता है कि खेमका ने 100 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि कोई राशि का भुगतान नहीं किया गसा जैसा की पंजीकृत दस्तावेज में दावा किया गया। इस दस्तावेज में बिक्री के पंजीकरण को सही अथरे में कानूनी या नैतिक रूप में बिक्री नहीं कहा जा सकता और यह नहीं कहा जा सकता कि स्काईलाइट हास्पिटैलिटी दस्तावेज में बिक्री के पंजीकरण के माध्यम से जमीन का मालिक हो गया। खेमका का जवाब सार्वजनिक होने पर, इस बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा, “वह इस मुद्दे पर मीडिया में कुछ नहीं कहेंगे।’’ http://visfot.com

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