नई दिल्ली / आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य 26 जनवरी तक एक करोड़ लोगों को पार्टी से जोड़ना है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मिली जेड कैटिगरी की सुरक्षा पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि मेरी लाइफलाइन बहुत लंबी है और मुझे किसी तरह की सुरक्षा की जरूरत नहीं है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘आप’ की ओर से ‘मैं भी आम आदमी’ सदस्यता अभियान की शुरुआत का ऐलान करते हुए कहा गया कि कोई भी पार्टी की वेबसाइट या 07798220033 पर एसएमएस या मिस कॉल करके मेंबर बन सकता है। आप का सदस्य बनने के लिए कोई शुल्क नहीं रखा गया है। पहले हर सदस्य से 10 रुपये शुल्क लिया जा रहा था।
लोकपाल कानून के लिए रामलीला मैदान में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने में कानूनी बाधाओं को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में केजरीवाल ने काह कि मैंने कानून मंत्रालय से पता करवा लिया है, इसमें कोई बाधा नहीं है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह नहीं बताया कि रामलीला मैदान में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा या नहीं, या बुलाया जाएगा तो कब। सदस्यता अभियान के साथ-साथ ‘आप’ के कई नेता इस कोशिश में हैं कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस से पहले लोकपाल बिल और ‘स्वराज’ की रूपरेखा तैयार हो जाए। इन दोनों में एक भी तैयार हो जाता है, तो उसे गणतंत्र दिवस के गिफ्ट के रूप में पेश किया जा सकता है। मुख्यमंत्री जनवरी के आखिरी सप्ताह या फरवरी के पहले सप्ताह में लोकपाल बिल पास कराने की बात एक दिन पहले ही कह चुके हैं। लेकिन, ऑफिसरों को शक है कि 26 जनवरी तक बिल तैयार हो पाएगा। तेजी से काम चल रहा है, पर हर कानूनी पहलू के बारीक पेच को समझ लेना, चर्चा कर लेना और साइड इफेक्ट्स का भी आकलन जरूरी है, जिस पर कुछ ज्यादा वक्त लग सकता है।
‘आप’ के सूत्रों के मुताबिक लोकपाल (लोकायुक्त) बिल और स्वराज कॉन्सेप्ट के बारे में पार्टी ने काफी होम वर्क कर रखा है, जिसे अब सरकारी भाषा और कानूनी जामा पहनाने की जरूरत है। लोकायुक्त को जांच करने की ताकत, फोन टेप करने की ताकत, निगरानी रखने की ताकत, छापे मारने की ताकत जैसे अधिकारों के बारे में सुझाव दिए गए हैं। राज्य की ऐंटि करप्शन ब्रांच या ऐसी ही कोई एजेंसी बना कर उसे लोकायुक्त के तहत रखा जा सकता है।
मोहल्ले के स्तर पर बनने वाले स्वराज के तहत लोगों को अपने इलाके की समस्याओं के समाधान, विकास आदि के बारे में खुद फैसले लेने का अधिकार देने की बात है। इस सिस्टम को बनाने के लिए महाराष्ट्र में पुणे के ‘सारथी’ सिस्टम और कई अन्य स्थानों के सिस्टम से प्रेरणा ली जा रही है। यह तय किया जा रहा है कि इस सिस्टम में किस-किस विभाग के ऑफिसर इलाके के विधायकों के साथ मोहल्ला स्तर की बैठकों में हिस्सा लें और वहां होने वाले फैसलों को अमली जामा कैसे पहनाया जाए।