लखनऊ। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के लिये उत्तर प्रदेश में एक अदद लोकसभा सीट का सवाल पार्टी के गले की हड्डी बनता जा रहा है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी मोदी को उत्तर प्रदेश की किसी राजनैतिक रूप से सुरक्षित सीट से लड़ाना चाहती है जिसका उत्तर प्रदेश के साथ बिहार मध्य प्रदेश और दिल्ली उतराखंड तक असर पड़े। कम जोखिम वाली सीट में गोरखपुर, वाराणसी लोकसभा सीट मानी जा रही है पर इनके मौजूदा सांसद, मोदी के लिये कोई बलिदान नहीं देना चाहते हैं चाहे योगी आदित्यनाथ हों या फिर मुरली मनोहर जोशी। जोशी तो हाल ही में इस सवाल पर इस कदर भड़के कि सवाल पूछने वाले संवाददाता को नसीहत दे दी कि कुछ पढ़ लिखकर आया करो। अब बची लखनऊ की लालजी टंडन की सीट जिसमें पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
और एक बड़ी समस्या एजेण्डा की भी है। मोदी का एजेण्डा विकास है और वाराणसी और गोरखपुर दोनों से भाजपा के ही सांसद है। दोनों शहर विकास के नामपर कलंक बने हुये हैं। वाराणसी की एक भी सड़क साबुत नहीं है, ट्रैफिक गजब का है जहाँ ठेला, रिक्शा, ट्रक, सांड, साईकिल और शव यात्री सब कंधे से कन्धा छीलते हुये चलते हैं। इतना प्राचीन शहर और सारी गंदगी गंगा में। अब मोदी यहाँ से उम्मीदवार हुये तो वाराणसी से इस विकास की कुछ तो जिम्मेदारी लेनी ही होगी क्योंकि उनकी पार्टी की ही यह सीट है। और एक बनारसी का कहना था- ये मोदी का खुद बाबा भी इस शहर को ठीक नहीं कर सकते जो सीवेज के पानी से बजबजाता रहता है और जिस नदी के नाम से यह शहर बना वह विलुप्त हो रही है। गोरखपुर भी इसी हाल में है। योगी यहाँ के ताकतवर नेता हैं पर उनके हिंदुत्व के आगे विकास पानी माँगता नजर आता है। इसलिये मोदी के चुनाव के लिहाज से यह दोनों लोकसभा सीट विकास के मानदण्ड पर भी खरी नहीं उतरती हैं। लखनऊ में राजनैतिक जोखिम बहुत ज्यादा है। इस बीच आप पार्टी ने भाजपा के लिये और संकट पैदा कर दिया है। दोनों का वोट कांग्रेस विरोधी है और अब बँट रहा है। इस हालात में मोदी की लोकसभा सीट का चयन पार्टी के लिये बहुत आसान नहीं है। जनादेश न्यूज़ नेटवर्क