नई दिल्ली / प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट ने जाट आरक्षण बिल, एससीएसटी अत्याचार विरोधी बिल और आंध्र प्रदेश विभाजन बिल में प्रस्तावित संशोधन पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से बढ़ाए गए भ्रष्टाचार विरोधी अध्यादेशों को कैबिनेट ने इन्हें नामंजूर कर दिया। बताया जाता है कि अध्यादेशों को लेकर राजनीतिक दलों के कड़े रुख के बाद राष्ट्रपति की ओर से मिले संकेतों ने भी सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पर मजबूर किया।
चुनाव से ठीक पहले महत्वपूर्ण अजेंडे को संसद से पास न होता देख कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अध्यादेश के जरिए पिछले दरवाजे से लागू कराने की योजना बनाई थी, जिसकी उन्होंने खुली वकालत भी की। लेकिन चुनावी माइलेज की बात सामने आते बीजेपी ने खुलेआम इसे चुनौती देने की बात कही। देश के नौ राज्यों गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से मांग आई थी कि केंद्र सरकार अपनी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी श्रेणी जाटों को आरक्षण दे।