दमोह लोकसभा को लेकर चर्चाओं, कयासों का दौर जारी

vidhya sagar panday
विद्याासागर पांडे
sudha maliya
डा.सुधा मलैया
prahlad patel
प्रहलाद पटैल
mukesh nayak
मुकेश नायक
bahadur singh
बहादुर सिंह
chandra bhan sing-1
चन्द्रभान सिंह
gopal patel-02021
गोपाल पटेल

भाजपा 7, कांगे्रस 5  एवं 1 बार लोकदल ने जमाया था कब्जा 
नमों की गूंज,कांग्रेस के लिये आसान नहीं अब गढ को भेद पाना
दमोह की 4,सागर की 3 एवं छतरपुर की एक विधानसभा क्षेत्र में 
लोकसभा क्षेत्र में 1,358,234 मतदाता चुनेंगे अपना प्रतिनिधि 
-डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव- दमोह/ लोकसभा के आम चुनाव को लेकर जहां एक ओर निर्वाचन आयोग अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर राजनैतिक दल भी मैदान में उतरने को तैयार होने लगे हैं। इस समय देश एवं प्रदेश की कुछ सीटों पर निगाहें लगी हुई देखी जा सकती हैं उनमें दमोह लोकसभा क्रमांक 07 पर भी इस समय पुन: लोगों की नजरें टिकी हुई हैं और चर्चाओं एवं कयासों के दौर जारी है । अपनी अपनी दावेदारी को पूरे दम खम के साथ राजनैतिक दलों के नेता करने में लगे हुये हैं। अगर क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालें तो पूर्व में इसको दमोह-पन्ना लोकसभा के नाम से पहचाना जाता था जबकि वर्तमान में इसको दमोह के नाम जाना जाता है जबकि क्रमांक वही 07 है। 8 विधानसभा वाले दमोह लोकसभा में से एक आरक्षित जबकि बाकी सब अनारिक्षत हैं। जिसमें दमोह जिले की चार 54 पथरिया,दमोह 55,जबेरा 56 एवं 57 हटा है,वहीं सागर जिले की 38 देवरी,39 रहली,42 बंंडा,छतरपुर की 53 मलाहरा सीट सम्मिलित है। संपूर्ण लोकसभा क्षेत्र में 1,358,234 बतलाये जाते हैं,अगर विधान सभावार मतदाताओं की संख्या पर नजर डालें तो देवरी में 160,350,रहली में 176,108,बंडा मेें 176,993,मलहरा में 150,503,पथरिया में 165,758,दमोह 185,489,जबेरा में 169,816 एवं हटा में 173,217 मतदाता बतलाये जाते हैं।
रोचक रहा है इतिहास- 
अगर क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालें तो यहां पर 5 बार कांग्रेस,1 बार भारतीय लोकदल,7 बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत का परचम लहराया है। वैसे 1989 से लेकर वर्तमान तक भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में दमोह सीट बनी हुई है। यहां विजयश्री का वरण करने वालों के नामों पर नजर डालें तो 1962 में कांग्रेस की सहोद्रा बाई,1967 में कांग्रेस के एमजेबी पटैल,1971 में कांग्रेस की टिकिट पर पूर्व राष्ट्रपति के पुत्र वाराह गिरी शंकर गिरी,1977 में भारतीय लोकदल से नरेन्द्र सिंह यादवेन्द्र सिंह,1980 में कांग्रेस के प्रभुनारायण टण्डन,1984 में डालचंद्र जैन,1989 में भारतीय जनता पार्टी के लोकेन्द्र सिंह,1991 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,1996 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,1998 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,1999 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,2004 में भारतीय जनता पार्टी के चन्द्रभान सिंह लोधी,2009 में भारतीय जनता पार्टी शिवराज सिंह लोधी ने जीत प्राप्त की थी।
 क्षेत्र में भी नमो-सर्वे में दिखा जादू-
देश के साथ ही अगर क्षेत्र के मतदाताओं की भावना एवं सोच पर नजर डालें तो वह नमों से प्रभावित दिखलायी दे रही है। नमों अर्थात् नरेन्द्र मोदी को प्रधान मंत्री के रूप में देखने वालों की संख्या सर्वाधिक मानी जा रही है। हिन्दुस्थान समाचार हिस द्वारा कराये गये एक सर्वेक्षण से निकले परिणामों पर नजर डालें तो महंगाई,भ्रष्ट्राचार से जनता परेशान मान रही है और इन्ही को वह आगामी चुनाव में प्रमुख मुद्दा मान कर चल रही है। जबकि वह वर्तमान सांसद की कार्यप्रणाली से नाखुश एवं निस्क्रियता से दुखी दिखलायी दे रहे हैं। प्रत्यासी के चुनाव के दौरान अधिकांश लोग राजनैतिक दल को ही दृष्ट्रिगत रखते हुये वोट करेंगे। जहां केन्द्र की कार्यप्रणाली की अपेक्षा राज्य की शिवराज सरकार के कार्य से प्रभावितों की संख्या सर्वाधिक बतलायी जाती है। वैसे राजनीति के जानकारों की माने तो कांग्रेस के भारतीय जनता पार्टी के इस किले को भेदना आसान नहीं है और खास तोर पर उस समय जब देश में नमों की गूंज हो तो यह कार्य और भी कठिन दिखलायी देता है। विदित हो कि उक्त सर्वे में 10 प्रमुख सवालों को पूंछा गया था वह भी उनसे जो राजनैतिक जीवन में नहीं अपितु सामान्य जीवन जीते हैं इनकी संख्या सर्वाधिक रखी गयी थी। जिनमें वर्तमान सांसद की कार्य प्रणाली एवं उनको दुबारा वोट देने की बात पर 63 प्रतिशत विरोध में नजर दिखलायी दिये। प्रत्यासी के चुनाव पर राजनैतिक दल के आधार पर करने वालों की संख्या सर्वाधिक दिखी। सांसद की आयु सीमा पर सर्वे में 60 बर्ष से कम उम्र वालों पर जोर दिया गया है। केन्द्र सरकार की कार्यप्रणाली की अपेक्षा प्रदेश की शिवराज सरकार के कार्यों से प्रभावितों की संख्या भी सर्वाधिक बतलायी जाती है। नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखने वालों की संख्या भी बहुत ज्यादा है जबकि राहुल गांधी या अन्य के बारे में बहुत ही कम लोगों ने अपना मत दिखलाया।
दरबार में नेता,संभावनायें तलासते दल-
लोकसभा चुनाव में टिकिट पाने की चाह रखने वाले नेताओं द्वारा अपने राजनैतिक गुरूओं,आकाओं एवं हाईकमान पर अपनी काबिलियत का प्रभाव दिखलाने का क्रम जारी है। राजनीति के जानकारों की माने तो दोनो ही प्रमुख पार्टीयां भाजपा एवं कांग्रेस कुर्मी एवं लोधी जाति पर अपना दांव एवं जोर लगा सकती है परन्तु इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि ब्राम्हण प्रत्यासी भी कोई दल मैदान में उतार दे। वैसे भारतीय जनता पार्टी में डा.श्रीमति सुधा मलैया,प्रहलाद पटैल,डा.रामकृष्ण कुसमरिया,बहादुर सिंह,विद्यासागर पांडे,दीपू भार्गव,गोपाल पटैल,शिवराज सिंह लोधी,मान सिंह,प्रद्युम्र सिंह के नामों की चर्चा है। विदित हो कि डा.मलैया भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं एवं स्थानीय विधायक एवं प्रदेश के वित्त एवं जल संसाधन मंत्री जयंत कुमार मलैया की पत्नि हैं। डा.कुसमरिया 1991 से लेकर 2004 तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सांसद के रूप में कर चुके हैं एवं प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री रहे हैं। प्रहलाद पटैल पूर्व केन्द्रीय मंत्री हैं एवं लोकसभा क्षेत्र के समीप की ही विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं,राजनैतिक एवं क्षेत्र में यह नाम भी कोई नया नहीं हैं।
बात करें बहादुर सिंह की तो उनको क्षेत्र की अच्छी जानकारी है,राष्टीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघ चालक का दयित्व निभा चुके हैं। वर्तमान में सामाजिक समरसता विभाग महाकौशल प्रांत के प्रमुख हैं। लोधी जाति के हैं तथा जमीनी स्तर पर कार्य करने तथा बेदाग छबि के कारण इनको जातिगत समीकरण में सभी वर्ग का सहयोग मिल सकता है। सूत्रों की माने तो इस नाम पर विचार चल रहा है हो सकता है कि भारतीय जनता पार्टी इनको अपना उम्मीदवार बना मैदान में उतार दे। पं.विद्यासागर पांडे पूर्व जिलाध्यक्ष एवं राष्टीय कार्यकारणी के सदस्य हैं। क्षेत्र का अच्छा अनुभव है क्योंकि जनसंघ के समय से ही सक्रिय राजनीति में इनका योगदान आज भी देखा जा सकता है। दीपू भार्गव की बात करें तो यह युवा चेहरा पिछले कुछ बर्षों से सक्रिय देखा जा रहा है यह प्रदेश के मंत्री गोपाल भार्गव के पुत्र हैं।  शिवराज सिंह लोधी जो कि वर्तमान में क्षेत्र के सांसद हैं कि संभावना न के बाराबर दिखलायी देती है परन्तु सूत्र बतलाते हैं कि वह पुन: मैदान में उतरना चाहते हैं। क्षेत्र की जनता के अनुसार अब तक के इतिहास में सबसे निष्क्रिय सांसद के रूप में इनकी पहचान बन चुकी है।
गोपाल पटैल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रह चुके हैं वर्तमान भारतीय किसान संघ के महाकौशल प्रांत के प्रांतीय अध्यक्ष हैं। जिला मुख्यालय से मात्र कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पालर के निवासी हैं। मान सींग लोधी समाज के एक बजनदार नेता के रूप मेें पहचाने जाते हैं तो प्रद्युम्र सिंह पूर्व मंडी अध्यक्ष हैं तथा लोधी जाति के हैं। सूत्रों की माने तो डा.सुधा मलैया,दीपू भार्गव के मामले में वह बात सामने आ रही है जिसके तहत भाजपा ने किसी मंत्री के परिजनों को मैदान में न उतारने का हाल ही मैं निर्णय लिया है? विदित हो कि पूर्व प्रधान मंत्री अटल जी की भांजी करूणा शुक्ला ने मंत्री,सांसद,विधायक के परिजनों को लेकर आरोप लगाये थे एवं पार्टी छोड दी थी।

डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव
डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव

वहीं जबकि कांग्रेस में मुकेश नायक,राजेश तिवारी,चन्द्रभान सिंह,तिलक सिंह,जीवन पटैल जैसे नाम बतलाये जाते हैं। श्री नायक दमोह विधानसभा मात्र एक सौ एक के लगभग वोट प्राप्त कर विधायक बने थे एवं राजनैतिक जीवन की शुरूआत की थी। अपने अनुभव एवं राजनैतिक कौशल के कारण उन्होने प्रदेश में उच्च शिक्षा मंत्री का दायित्व निभाया था एवं पवई से दोबारा विधायक बने ,कांग्रेस में एक बडा नाम माना जाता है। चन्द्रभान सिंह के राजनैतिक जीवन की शुरूआत भारतीय जनता पार्टी के बेनर तले हुई वह विधायक ,सांसद, जिला पंचायत अध्यक्ष भी भाजपा की टिकिट पर बने थे। न्यूक्लियर मामले को लेकर यह भाजपा छोड कांग्रेस के साथ आये और सांसद,विधायक के चुनाव को लडा परन्तु लगातार पराजित हुये। कांग्रेस इनको पुन:मैदान में उतार सकती है। राजेश तिवारी कांग्रेस की ओर लोकसभा प्रभारी हैं एवं लगातार आंदोलनों को लेकर सक्रियता दिखलाने का प्रयास करते रहते हैं इस नाम पर कांग्रेस विचार कर सकती है। तिलक सींग जो भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं तथा लोक सभा में कांग्रेस के प्रत्यासी पूर्व में रह चुके हैं हाल ही में विधायक का चुनाव भी लड चुके हैं पूर्व में यह भाजपा में कुछ महिनो तक रहे थे पुन: कांग्रेस में आने पर कांग्रेस इन पर भी अपना दांव खेल सकती है।

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