जहां स्त्री का अपमान होता है वहां लक्ष्मी का वास नहीं होता-गुरूजी

श्रीवैष्णव बैरागी ब्राम्हण समाज के कार्यक्रम में हजारों की उमडी भीड
धर्म,समाज,राष्ट्र पर हुआ चिंतन वक्ताओं ने रखे विचार
सामूहिक विवाह में परिणय सूत्र में भी बंधे युगल
571112-डा. एल. एन. वैष्णव-  जो व्यक्ति धर्म के प्रति लालायित रहता है उसमें भगवान स्वयं समाहित हो जाते हैं इसलिये इन्सान को धर्म के साथ ही मानवता के लिये जीना चाहिये यह बात भामासाह के उपनाम से विख्यात एवं प्रखर वक्ता जयप्रकाश वैष्णव गुरूजी ने कही। प्रदेश के ही इन्दौर नगर में आयोजित श्रीवैष्णव बैरागी ब्राम्हण समाज के एक दिवसीय कार्यक्रम एवं सामूहिक विवाह समारोह में पधारे हजारों नर नारियों एवं बच्चों को संबोधित करते हुये इन्होने अनेक तार्किक एवं प्रमाणिक बातों को रखते हुये अनेक बार चिंतन करने को मजबूर कर दिया। इन्होने कहा कि महिलाओं के साथ जो वर्तमान में घट रहा है वह चिंतनीय है प्रतिदिन के आंकडे दिल को झकझोर देने वाले होते हैं। उसका अपमान पतन की ओर ले जाता है कहा गया है कि तीनों लोकों में अमृत घट के साथ धान पर लात मारने का अधिकार जहां महालक्ष्मी को है तो वहीं घर की लक्ष्मी को भी है,उसका अपमान करने वालों के यहां से लक्ष्मी रूष्ट होकर चली जाती हैं। इन्होने कहा कि घृणा नहीं करनी चाहिये क्योंकि भविष्य में कल आपके साथ क्या घटेगा कोई कह नहीं सकता। भगवान श्रीराम के जीवन वृत्त से जुडी बात को सामने रखते हुये कहा कि शबरी के बेरों का सेवन जहां श्रीराम ने किया था तो वहीं दूसरी ओर लक्ष्मण जी ने बेरों के दोने का पीछे फैंक दिया था जो कलातांर में द्रोणागिरी पर्वत बन गया था। युद्ध के समय लक्ष्मण को शक्ति लगने पर सुशेन वैद्य द्वारा संजीवनी बूटी को लाने भेजा था वह उसी द्रोणागिरी पर्वत पर उन्ही बेरों की उत्पत्ति थी जिसका सेवन कराकर लक्ष्मण के जीवन को बचाया गया था। अपने प्रेरणा एवं ज्ञानदायी उद्बोधन में श्री गुरूजी ने अनेक बार उपस्थितों को चिंतन करने पर मजबूर किया जाता रहा। धर्म,समाज एवं राष्ट्र से संबधित अनेक विषय को अपने उद्बोधन में इन्होने रखा। इस अवसर पर इन्होने कहा कि समाज के जितने भी एैसे बच्चे हैं जो होनहार हैं परन्तु गरीबी या अन्य किसी कारण से शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं वह एक से लेकर भले ही हजारों में हों मैं उनके पूरे खर्च को उठाने के लिये तैयार हुं। गत अनेक बर्षों से में इसी प्रकार के कार्य में जुटा हुआ हूं।
ज्ञात हो कि श्रीवैष्णव बैरागी ब्राम्हण समाज संघ द्वारा स्थानीय श्रीमहंत यजत्रदास जी हंसमठ,रणछोर मंदिर पीलियाखाल में सामूहिक विवाह एवं परिचय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान लक्ष्मीनारायण के पूजनार्चन के साथ किया गया। समारोह के मुख्यातिथि जयप्रकाश वैष्णव गुरूजी,कवि सुरेशबैरागी,महंत यजत्रदास,प्रो.एच.डी.वैष्णव,पुष्पा नरहरि वैष्णव ,योगेंन्द्र महंत,महेश बैरागी सहित मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन के साथ ही भगवान विष्णु का पूजनार्चन किया तो वहीं आचार्य मंडल द्वारा वेदमंत्रों के उच्चारण के साथ सम्पूर्ण प्रांगण को धर्ममय बना दिया।
मंचासीन अतिथियों का परिचय पत्रकार वेदप्रकाश विद्रोही ने तो स्वागत भाषण श्रीवैष्णव बैरागी ब्राम्हण समाज संघ के अध्यक्ष कृष्णकांत बैरागी ने प्रस्तुत किया। इसी क्रम में अतिथियों की मानवंदना पुष्पहारों से उपाध्यक्ष पूरणदास बैरागी,गोरधनदास वैष्णव,गोपालदास पुजारी,कोषाध्यक्ष जगदीश वैष्णव,महेश वैष्णव,सहसचिव अशोक वैष्णव,संगठन मंत्री दिनेश पहलवान,द्वारका प्रसाद शर्मा,विक्रम शर्मा,प्रचार मंत्री संतोष बैरागी,सतीश शर्मा,सुभाष बैरागी,धमेन्द्र बैरागी,गोपालदास बैरागी,मधुसूदन शर्मा,प्रकाश बैरागी,लोकेन्द्र शर्मा,संजय वैष्णव,मृदुल वैष्णव,मांगीलाल बैरागी,योगेश शर्मा,रामेश्वर बैरागी, सरोज बैरागी,पत्रकार डा.हंसा वैष्णव सहित समीति के समस्त सदस्यों ने किया। इस अवसर पर अतिथियों का स्मृति चिंन्ह देकर भी सम्मान भी किया गया।
आयोजन के प्रयोजन के बारे में विस्तार से अपनी बात रखते हुये सचिव बालकृष्ण बैरागी ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। प्रथम वक्ता के रूप में कवि सुरेश बैरागी ने कहा कि समाज में उत्थान एवं बदलाव की आवश्यकता है। कैंकडों की प्रजाति के नहीं अपितु मानवता को धारण करने पर ही यह संभव है। इन्होने कहा कि संसार जानता है कि वैष्णव अपने लिये नहीं अपितु संसार के लिये जीता है वह संपूर्ण समाजों की पीढा को समझता है और उसके निराकरण के प्रयास को करता रहता है। अनेकों उदाहरणों को प्रस्तुत करते हुये कहा कि वैष्णव जन तो ….भजन इसका बडा प्रमाण है। श्री बैरागी ने कहा कि आप अपने को तारासें तो परमात्मा आपको तरासेगा। प्रो.एच.डी.वैष्णव ने कहा कि हमेशा अच्छे कार्य करने वालों को ही याद किया जाता है उन्ही का सम्मान होता है। ठीक उसी तरह जो चंदन पत्थर पर घिसा जाता है वह मस्तिष्क की शोभा बढाता है और सुुंगध भी देता है जबकि बिना घिसा चंदन तो मुर्दे के साथ शमसान जाता है।
समारोह में साहुहिक विवाह के अवसर पर छै: जोडों को आर्चाय मंडल में पं.गोपालदास पुजारी,पं.राजेश वैष्णव,पं.मृदुलबिहारी बैष्णव,पं.रामूजी शर्मा,पं.विष्णु पुजारी एवं उनके सहयोगी आचार्यों ने परिणय सूत्र में बंधा। जिन्हे जयप्रकाश जी ने सोने का मंगलसूत्र प्रदान किया तो वहीं आयोजक मंडल द्वारा उपहार में जीवनोपयोगी वस्तुये प्रदान की। इसी क्रम में समाज के होनहार छात्र-छात्राओं को भी मंचासीन अतिथियों ने सम्मान भी किया। वहीं गुरू जी द्वारा सैकडों बच्चों को कापियों के सेटों को वितरित किया। समाज के बरिष्ठों का  सम्मान भी किया गया जिसमें वेदप्रकाश विद्रोही,बाबूलाल वैष्णव,ओपी बैरागी,डा.एल.एन.वैष्णव,महावीर वैष्णव,महंत रामचरण दास ,नाथूदास बैरागी,ओमप्रकाश शुक्ल एवं नरोत्तमदास वैष्णव को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। विवाह योग्य युवक युवती परिचय समारोह को श्रीमती शैलवाला बैरागी एवं सरोज बैरागी ने सम्पन्न कराया जिसमें देश के विभिन्न स्थानों से आये पांच दर्जन के लगभग युवक युवतियों ने अपना परिचय दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन एवं आभार पत्रकार डा.एल.एन.वैष्णव ने किया।

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