कवि, साहित्कार एवं कलाकार को ब्रम्ह जैसा होना चाहिये- मलय

अनिल कुमार सिंह के काव्य संग्रह अंतस की पीडा का विमोचन
वक्ताओं ने विमोचन समारोह में अपने विचार की सराहना
DSC_0050DSC_0054दमोह / कवि, साहित्कार एवं कलाकार को ब्रम्ह की तरह होना चाहिये जिस प्रकार वह सृष्ट्रि में एक जैसी दूसरी रचना नहीं करता,हर चीज में भिन्नता एवं विशेषता को समाहित कर देता है यह बात कवि एवं साहित्कार मलय जी ने कही। स्थानीय एक होटल के सभाकक्ष में आयोजित अनिल कुमार सिंह के काव्य संग्रह अंतस की पीडा के विमोचन अवसर पर उपस्थित गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुये इन्होने कहा कि लिखना ही लिखने को सिखलाता है इसलिये लेखन की क्रिया को बंद नहीं करना चाहिये। क्योंकि एक बार विराम लगने पर उसको दुबारा उसी स्थिति में लाना मुश्किल होता है। कविता कार्य मनुष्य बनाना है और यह बात काव्य संग्रह की कविताओं में स्पष्ट रूप से देखने मिलती है। मनुष्य को कलाओं का ज्ञान और उसमें दक्ष होना आवश्यक है इन्होने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में अनेक बार उपस्थितों को चिंतन करने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्या की देवी मां वीणापाणी का पावन स्मरण एवं उनका आशीष लेते किया गया। कार्यक्रम में मुख्यवक्ता कवि,साहित्कार मलय जी, अतिथि आलम जबलपुरी,देवेश चौधरी,सत्यमोहन वर्मा,डा.रघुनंदन चिले,ठा.नारायण सिंह एवं प्रकाशक शिल्पायन के ललित शर्मा की मानवंदना पुष्पहारों से की गयी।
आयोजन के प्रयोजन के विषय में पत्रकार डा.एल.एन.वैष्णव ने बतलाया तो वहीं काव्य संग्रह अंतस की पीडा का विमोचन मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।  लेखक लोक निर्माण विभाग में कार्यपालन यंत्री के रूप में अपनी सेवायें दे रहे अनिल कुमार सिंह ने कहा कि लोग पूंछते हैं कि में उपनाम घायल क्यों लिखता हुं आज में यह बात स्पष्ट करना चाहता हुं। आदमी दो कारणों से घायल होता है एक घटना दूसरी दुर्घटना से मेरे साथ घटनायें एैसे घटी कि मैने घायल लिखना प्रारंभ कर दिया। मुझे कविता लिखने को यही घटनायें प्रेरित करती रहती हैं। एक कारण यह भी है कि आदमी को दुसरे को दुख पहंचाने में प्रसन्नता का अनुभव होता है जो मुझे दुखित करता है जिसेके कारण में घायल हो जाता हुं। कविताओं के लेखन एवं अपने अनुभवों को विस्तार से इन्होने रखते कुछ कविताओं का वाचन भी किया। इसी क्रम में डा.चिले ने कहा कि साहित्कार करूणामयी होता है। श्री वर्मा ने कहा कि अध्यन के साथ लेखन करने वाला ही एैसी कविताओं को लिख सकता है। देवेश चौधरी ने कविता के माध्यम से अपनी बात को रखा ।  वहीं आलम जबलपुरी ने कहा कि आज का समय उपभोक्तावादी संस्कृति का हो गया है यही कारण है कि मानवता पीछे छूटती जा रही है। आदमी आत्म केन्द्रित हो गया है वह किसी की बात सुनना नहीं चाहता। देखा जाये तो केरियर बनाने की होड में केरिक्टर पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जो चिंतन का विषय है। श्री सिंह की कविताओं की सराहना करते हुये इन्होने कहा कि यह कार्य लगातार जारी रहना चाहिये। कार्यक्रम का सफल संचालन पत्रकार डा.एल.एन.वैष्णव ने तो आभार जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डा.जगदीश चंद्र जटिया ने किया। कार्यक्रम में साहित्कारों एवं गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही।

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