केजरीवाल ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन पर गंभीर आरोप लगाए

Harshvardhanनई दिल्ली / अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चीफ विजिलेंस ऑफिसर संजीव चतुर्वेदी को हटाने पर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। केजरीवाल का कहना है कि संजीव चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई की, इसलिए उन्हें हटाया गया। केजरीवाल का दावा है कि संजीव ने सुषमा स्वराज की एक डॉक्टर (अमीनी) पर कार्रवाई की, तो उनसे बदला चुकाया गया। साथ केजरीवाल का दावा है कि बीजेपी के ताकतवर नेता जेपी नड्डा के एक करीबी पर कार्रवाई के लिए भी संजीव को हटाया गया।
केजरीवाल ने संजीव चतुर्वेदी के मामले को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। केजरीवाल ने कहा कि दो साल पहले संजीव चतुर्वेदी एम्स के सीवीओ नियुक्त किए गए। इन दो सालों में संजीव ने भ्रष्टाचार के काफी मामले एक्सपोज किए और उनपर कड़ी कार्रवाई की। दो सालों के दौरान संजीव को हटाने की तमाम कोशिशें हुईं। केजरीवाल का आरोप है कि यह कोशिश तब जाकर सफल हुई, जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बन गई। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि संजीव चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने पर सुषमा स्वराज की डायबिटीज का इलाज करने वाली डॉक्टर एसी अमीनी पर कार्रवाई की। केजरीवाल के अनुसार डॉ अमीनी पर आरोप था कि उन्होंने एक निजी मेडिकल कॉलेज की जांच के दौरान कॉलेज की तरफ से सुविधाओं का लाभ उठाया। इसके बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और सीबीआई ने डॉ. अमीनी पर पेनल्टी लगाने का सुझाव दिया। संजीव ने जब अमीनी पर पेनल्टी लगाई, तो तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने पेनल्टी कम कर दी। केजरीवाल का आरोप है कि डॉ. हर्षवर्धन जब स्वास्थ्य मंत्री बने, तो उन्होंने पेनल्टी ही हटा दी।
केजरीवाल का कहना है कि हालांकि यही एक वजह नहीं रही, जिससे संजीव चतुर्वेदी को हटाया गया। केजरीवाल का आरोप है कि हिमाचल से राज्यसभा सदस्य और बीजेपी के ताकतवर नेता जेपी नड्डा को संतुष्ट करने के लिए भी सीवीओ संजीव चतुर्वेदी को हटाया गया। जेपी नड्डा अमित शाह की हाल में बनी नई टीम में महासचिव बनाए गए हैं। केजरीवाल का कहना है कि जेपी नड्डा के करीबी विनीत चौधरी, जो हिमाचल के अडिशनल हेल्थ सेक्रटरी हैं, पर कार्रवाई भी संजीव चतुर्वेदी को हटाने की एक बड़ी वजह बनी।
केजेरीवाल ने आरोप लगाया कि विनीत चौधरी दो साल पहले एम्स के डीडी एडमिनिस्ट्रेशन थे। केजरीवाल ने कहा कि इस पद पर रहते हुए विनीत चौधरी ने कई घपले किए। संजीव चतुर्वेदी ने जैसे ही इन घपलों के खिलाफ ऐक्शन लेना शुरू किया, जेपी नड्डा ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया। केजरीवाल ने कहा कि अप्रैल 2013 में संजीव ने विनीत के खिलाफ जैसे ही जांच पूरी की, नड्डा ने मई 2013 में संजीव के खिलाफ चिट्ठी लिख दी।
इसी तरह जनवरी 2014 में जब सीबीआई ने विनीत चौधरी के खिलाफ केस दर्ज किया, तो तुरंत नड्डा ने फिर एक चिट्ठी लिख दी। जेपी नड्डा ने अपनी चिट्ठी में संजीव चतुर्वेदी की नियुक्ति पर सवाल उठाए। केजरीवाल ने कहा कि नड्डा ने आरोप लगाया कि संजीव चतुर्वेदी की नियुक्ति में सीवीसी का अप्रूवल नहीं लिया गया। नड्डा की बार-बार की शिकायतों के बाद नई सरकार बनने के ठीक तीन दिन पहले यानी 23 मई 2014 को स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि संजीव चतुर्वेदी की नियुक्ति में कोई पेंच नहीं है और अब इस मामले को बंद किया जाता है।
केजरीवाल का कहना है कि एम्स की नियुक्तियों के लिए सीवीसी से अप्रूवल लेने का कोई प्रावधान ही नहीं, जैसा कि नड्डा दावा कर रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि संजीव की नियुक्ति पर नड्डा के सवाल को स्वास्थ्य मंत्रालय ने न केवल खारिज किया था, बल्कि संजीव के काम को दूसरे अफसरों के लिए अनुकरणीय भी ठहराया था। केजरीवाल ने सवाल उठाया कि दो महीने के भीतर संजीव ने ऐसा क्या कर दिया कि एक अनुकरणीय अफसर को हटाना पड़ गया।

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