भगवान के परम अनन्य भक्तों की महिमा पर केन्द्रित रही कथा

Pandit Keshavkrishna Shashtri2विदिषा। स्थानीय सत्संग भवन में जारी श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस आज मंगलवार को प्रवचनकर्ता वेदाचार्य पं. केषवकृष्ण शास्त्री ने भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्तों की विस्तृत कथा सुनाई। महर्षि धर्मपत्नी माता अनुसुइयाजी, भक्त श्रेष्ठ ध्रुवजी तथा भक्त प्रवर प्रल्हादजी की भगवत भक्ति पर कथा केन्द्रित रही। माता अनुसुइयाजी के पतिव्रत धर्म को उन्होंने परमेष्वर की भक्ति से भी श्रेष्ठ निरूपित किया। परम भक्त प्रल्हाद ने अपनी भक्ति से अपने आराध्य भगवान श्री नृसिंह को प्रकट होने विवष कर दिया। इसी प्रकार अनुपम भक्त धु्रवजी ने अपनी भक्ति से अजर-अमर होकर सर्वोच्च स्थायी स्थान प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की। इन और इन जैसे भक्तों ने अपने भगवान को साक्षात दर्षन देने विवष कर दिया। आज कथा में पं. केषवकृष्ण शास्त्री ने जगजननि भगवती परमेष्वरी सती तथा सती के पष्चात पार्वती स्वरूप में अवतरण की मार्मिक कथा भी सुनाई। परमेष्वरी सती ने अपने पिता महाराजा दक्ष प्रजापति द्वारा अपने पति भगवान श्री षिवषंकर के अपमान से कुपित होकर यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए। भगवती जगदम्बा द्वारा की गई कठोरतम तपस्या का सटीक, सजीव चित्रण भी उन्होंने किया। इस अवसर पर श्रोता-श्रद्धालुओं के नेत्र सजल हो उठे। आज 17 सितम्बर को भगवान श्री कृष्ण का जन्म महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। यह कथा 20 सितम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 2 से 5 बजे तक निरंतर जारी रहेगी।
-पं.गोविन्द शर्मा

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