भारत के सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को 2-जी स्पेक्ट्रम मामले में अभियुक्त बनाए जाने मांग को खारिज कर दिया है.
चिदंबरम को क्लीन चिट उस मामले में मिली है जिसमें जनता पार्टी प्रमुख सुब्रमण्यम स्वामी ने उन पर 2-जी स्पेक्ट्रम मामले में कई आरोप लगाए थे और कहा था कि उनके खिलाफ मामला चलाया जाए.
अदालत के फैसले को सरकार के लिए राहत माना जा रहा है क्योंकि मनमोहन सरकर एक के बाद एक भ्रष्टाचार के आरोपों को झेल रही है.
भारतीय जनता पार्टी संसद में इसी मुद्दे पर पी चिदंबरम का बहिष्कार करती रही है.
गौरतलब है कि इस मामले में पूर्व मंत्री ए राजा सहित कई नौकरशाह भी जेल में रह चुके हैं और मामले की जाँच सीबीआई कर रही है.
‘राजा की भूमिका के बारे में पता था’
गैर-सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट ऐंड लिटिगेशन (सीपीआईएल) की याचिका पर आदेश देते हुए न्यायाधीश जीएस सिंघवी ने मामले की और जाँच का आदेश दिया.
सीपीआईल ने 2जी मामले में सीबीआई जाँच की मांग की है.
सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि चिदंबरम को टेलीकॉम घोटाले के लिए जिम्मेदार माना जाना चाहिए क्योंकि ये घोटाला उस वक्त हुआ जब वो वित्त मंत्री थे.
उनका कहना है कि चिदंबरम को 2जी घोटाले में टेलीकॉम मंत्री ए राजा की कथित भूमिका के बारे में पता था और चिदंबरम को स्पेक्ट्रम की नीति बनाते वक्त हस्तक्षेप करना चाहिए था.
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए राजा पर अभियोग हैं कि उन्होंने 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन में धांधली की थी.
फैसले के बाद स्वामी ने कहा कि वो फैसले पर पुनर्विचार के लिए आवेदन करेंगे.
उधर कांग्रेस ने फैसले का स्वागत किया औऱ कहा कि फैसले से साबित हो गया है कि वित्त मंत्री निर्दोष हैं.
इससे पहले स्वामी ने विशेष सीबीआई अदालत में इसी बात पर याचिका दायर की थी लेकिन निचली अदालत ने भी उनकी मांग नामंजूर की दी थी.
आरोप ही आरोप
चिदंबरम पिछले कई सालों से कई विवादों में रहे हैं और सुब्रह्मण्यम स्वामी भी उन पर लगातार आरोप लगाते रहे हैं.
इससे पहले स्वामी ने उन पर आरोप लगाया कि उनके बेटे कार्ती चिदंबरम को मोबाइल ऑपरेटर एअरसेल में पाँच प्रतिशत हिस्सेदारी दी गई. स्वामी ने आरोप लगाया कि इसके बदले मलेशिया की कंपनी मैक्सिस कम्युनिकेशंस को एअरसेल में निवेश करने के लिए फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड की स्वीकृति मिली. लेकिन इस बारे में कोई भी इल्जाम साबित नहीं हो पाए.
वर्ष 2009 में चिदंबरम शिवगंगा लोकसभा सीट से चुने गए लेकिन हारने वाले एआईएडीएमके प्रत्याशी राजा कनप्पन ने उनपर फर्जीवा़ड़ा का आरोप लगाया और मामला अदालत में है.
चिदंबरम एनरॉन और वेदांता जैसी कंपनियों के वकील भी रहे हैं, जिसकी वजह से वो विवादों के घेरे में रहे.
ज्यादा वक्त नहीं गुजरा जब वो देश के गृहमंत्री थे, और उसके पहले वित्त मंत्री.
गृहमंत्री के उनके कार्यकाल के दौरान जिस तरह से नक्सल समस्या और चरमपंथ से निपटने के लिए सरकार ने कदम उठाए, उसे लेकर भी लोगों ने शिकायतें कीं.
कहा गया कि एजेंसियाँ चरमपंथ रोकने के नाम पर मानवाधिकार हनन कर रही हैं.
चिदंबरम की स्थिति पर पत्रिका तुगलक के चो रामास्वामी चुटकी लेते हुए कहते हैं कि कांग्रेस में जिस पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उसे बहुत ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ा है.
रामास्वामी कहते हैं, “चिदंबरम बहुत बुद्धिमान व्यक्ति हैं लेकिन 2जी स्पेक्ट्रम मामले में उनके कथित तौर पर शामिल होने पर सवाल उठ रहे हैं जिसकी वजह से सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं.”
रामास्वामी के मुताबिक चिदंबरम राजनीतिक तौर पर बहुत मजबूत नहीं रहे हैं और वो जनता के लोकप्रिय नेता के तौर पर नहीं देखे जाते हैं.