हिन्दू राष्ट्र पर मुस्लिम संगठनों ने RSS के प्रतिनिधि से पूछे 6 से सवाल

rssVHP (विहिप) के नेताओं के विवादास्पद बयानों की पृष्ठभूमि में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच आपसी समझ कायम करने के प्रयत्न्नों के तहत कल राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रतिनिधि से मुलाकात करने वाले विभिन्न मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने संघ से छह सवाल किए हैं जिनमें यह सवाल भी शामिल है कि संघ मुसलमानों से किस प्रकार की राष्ट्रभक्ति चाहता है।
संघ के प्रतिनिधि से बीती रात हुई मुलाकात के दौरान मुस्लिम नेताओं ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जानना चाहा कि क्या संघ मुल्क को हिंदू राष्ट्र मानता है और मुसलमानों से किस प्रकार के राष्ट्र प्रेम की उम्मीद करता है।
इस बैठक में सुन्नी उलेमा काउंसिल के महामंत्री मोहम्मद सलीस, हाजी मोहम्मद इकबाल और हाजी इश्तियाक निजामी ने भाग लिया।
इस बारे में मोहम्मद सलीस ने आज बताया कि संघ प्रतिनिधि इंद्रेश के समक्ष कल रात मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल ने छह सवाल रखें।
1 क्या आरएसएस मुल्क को हिन्दू राष्ट्र मानता है।
2 हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिये क्या कोई खाका तैयार किया गया है,
3 हिन्दू राष्ट्र हिन्दुओं के मजहबी ग्रंथों के मुताबिक होगा या आरएसएस ने कोई नया फलसफा तैयार किया है,
4 मुसलमानों से किस तरह का राष्ट्र प्रेम आरएसएस चाहता है
5 आरएसएस इस्लाम को किस नजरिये से देखता है
6 धार्मिक धर्मांतरण पर वे क्या चाहते हैं
सुन्नी उलेमा काउंसिल के नेता ने दावा किया कि संघ प्रतिनिधि इंद्रेश ने इन सवालों का जवाब देने के लिए मुस्लिमों की एक जनसभा बुलाने का सुझाव दिया है जिसमें संघ सार्वजनिक रूप से इन सारे सवालों का जवाब देगा।
उधर शहर काजी आलम रजा नूरी ने आज कहा संघ के प्रतिनिधि इंद्रेश से मिलने से कोई फायदा नही था क्योंकि उनसे पहले भी मुलाकात हो चुकी थी। अगर संघ प्रमुख मोहन भागवत मिलने को बुलाते उनके सामने हम उनके हिन्दू राष्ट्र के एजेंडे के बारे में बात करते ।
उन्होंने कहा, इंद्रेश से मुलाकात का संघ की विचारधारा पर कोई असर नही पड़ेगा क्योंकि इससे पहले भी मुलाकात की जा चुकी है और उसका कोई फायदा नही हुआ और नेताओं का मुस्लिमों के बारे में जहर उगलना जारी रहा है।
कल शहर काजी ने भागवत से मिलकर उनसे मुसलमानों के बारे में उनका नजरिया जानने की बात कही थी और संघ प्रमुख का समय न मिलने पर निराशा भी जताई थी । शहर काजी और मुस्लिम नेताओं ने 14 फरवरी को संघ प्रमुख के समक्ष अपनी कौम का नजरिया रखने के लिये वक्त मांगा था।

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