राजस्थान को पेयजल के लिए वरियता से मदद प्रदान करने के निर्देश

केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्राी चौधरी वीरेन्द्र सिंह से नई दिल्ली में मुलाकात करती राजस्थान की पेयजल मंत्राी श्रीमती किरण माहेश्वरी
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्राी चौधरी वीरेन्द्र सिंह से नई दिल्ली में मुलाकात करती राजस्थान की पेयजल मंत्राी श्रीमती किरण माहेश्वरी

नई दिल्ली, 27 मार्च, 2015। केन्द्रीय ग्रामीण मंत्राी चौधरी श्री वीरेन्द्र सिंह ने अपने मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि राजस्थान में पेयजल की गहरी समस्या के मद्देनजर प्रदेश को अन्य राज्यों की भांति ’’सामान्य श्रेणी’’ में नही रखा जा सकता। इसलिए राजस्थान में पेयजल की समस्या के स्थाई निवारण के लिए ठोस उपाय सुनिश्चित कर, जल्द फैसले लिए जाए। साथ ही राजस्थान को वरियता के आधार पर केन्द्रीय मदद उपलब्ध करवाई जानी चाहिए।

श्री सिंह ने राजस्थान की पेयजल मंत्राी श्रीमती किरण माहेश्वरी और उनके साथ नई दिल्ली आये प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसद श्री पी.पी. चौधरी के समक्ष यह स्वीकार किया कि राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के साथ ही आये वर्ष पड़ने वाले सूखे एवं अकाल के कारण राजस्थान में पीने के पानी की समस्या और अधिक गहरा जाती है।
उन्होंने माना कि देश में क्षेत्राफल की दृष्टि से सबसे बड़े राज्य राजस्थान में पूरे देश में उपलब्ध पानी का मात्रा एक प्रतिशत भूजल और इतना ही प्रतिशत सतही जल उपलब्ध है। साथ ही गुणवत्ता की दृष्टि से भी पानी का स्तर अच्छा नही है। उन्होंने कहा कि रेगिस्तान प्रधान राजस्थान में शुद्ध पेयजल के लिए दीर्घकालीन वृहत योजनाओं का काम हाथ में लिया जाना चाहिए। इसके लिए केन्द्र सरकार हर संभव मदद प्रदान करेगी। राज्य को भी अपने बजट में इसे वरियता देनी होगी।
चौधरी श्री वीरेन्द सिंह ने सुझाव दिया कि राजस्थान में व्यर्थ बहकर समुद्र में चले जाने वाले वर्षा और नदियों में बाढ़ के पानी को राज्य में रोकने के लिए ठोस उपाय सुनिश्चित करने की योजना पर गंभीरता से कार्य करना होगा। उन्होंने बताया कि राजस्थान सहित देश के कई भागों का वर्षा जल व्यर्थ में बह कर पाकिस्तान तक चला जा रहा है अथवा समुद्र में गिर जाता है, जबकि इसका उपयोग पानी की कमी वाले क्षेत्रों में हो सकता है। उन्होंने परम्परागत जल स्त्रोतों के पुनरूद्धार की जरूरत पर भी बल दिया और बताया कि कई पुराने ऐसे जल भराव क्षेत्रा, जहां पानी कभी नही टूटता था। ऐसे रिजर्व  वाट्र स्थलों की पहचान कर उन्हें पुर्न विकसित करना चाहिए। साथ ही जल संरक्षण के लिए जन चेतना एवं जन शिक्षण भी बहुत जरूरी है।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्राी ने बताया कि केन्द्र सरकार राजस्थान सहित पेयजल की समस्या से ग्रसित राज्यों को लेकर बहुत चिंतित है और उन्हें हर संभव मदद करना चाहती है। इस पर नीतिगत फैसला कर समस्या ग्रस्त सभी राज्यों को केन्द्रीय मदद में समुचित हिस्से का अनुपात निश्चित करने का इरादा रखती है।
उन्होंने माना कि पिछले दिनों राजस्थान सहित देश के कुछ राज्यों में असमय हुई वर्षा और ओलावृष्टि से भी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। केन्द्रीय दलों से नुकसान का ब्यौरा मिलने के बाद प्रभावित राज्यों और किसानों को केन्द्र की ओर से हर संभव सहायता मिलेगी, जैसे कि सूखा प्रभावित घोषित राज्यों को दी जा रही है।
बैठक में राजस्थान की जन स्वास्थ्य अभियंात्रिकी मंत्राी श्रीमती किरण मोहश्वरी ने केन्द्रीय मंत्राी चौधरी वीरेन्द्र सिंह का ध्यान राजस्थान की भीषण पेयजल समस्या और जरूरतों की ओर दिलवाया और बताया कि मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में राज्य सरकार इस समस्या के निवारण के लिए अथक प्रयास कर रही है और चालू वर्ष के राज्य बजट में पेयजल और प्रदूषित पानी की समस्या से निपटने आदि के लिए 90 करोड़ रूपये की राशि मंजूर की गई है। उन्होंने बताया कि पूर्व में राजस्थान को केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के अन्तर्गत अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक केन्द्रीय मदद मिलती थी, जो कि कालान्तर में कम हो गई।
मानसून के पानी को रोकने के लिए 28 हजार करोड़ रूपये की योजना
श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि राज्य से व्यर्थ में बहकर समुद्र और अन्यत्रा चले जाने वाले मानसून के पानी को रोकने के लिए राज्य सरकार 28 हजार करोड़ रूपये की महत्वाकांक्षी योजना बना रही है। इसके लिए भारत सरकार की मदद के साथ ही विश्व बैंक से ऋण और अन्य विदेशी सहायता लेने पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
लुप्त सरस्वती नदी को पुनः जीवित करने के प्रयास
श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि पश्चिम राजस्थान में लुप्त हुई सरस्वती नदी को पुनः जीवित करने के सम्बंध में केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय को राज्य सरकार की ओर से प्रस्ताव भेजा गया है। इस परियोजना में पश्चिम राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर जिलों को शामिल किया गया है, जहां सरस्वती नदी का जलमार्ग रहना बताया गया है। ’’गूगल‘‘ साईट पर भी इस बारे में शौध-परक जानकारियां आ चुकी है। उन्होंने बताया कि रेगिस्तान में प्राकृतिक गैस और तेल के साथ ही जल के भी अथाह भंडार मौजूद बताये जाते है।
श्री माहेश्वरी ने बताया कि राज्य सरकार की मंशा है कि राज्य के रेगिस्तान इलाकों में पानी के भंडारों से युक्त पुरानी डिग्गियों को पुनःजीवित कर उन्हें शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल के स्त्रातों के रूप में विकसित करने का कार्य किया जाए। लेकिन उक्त सभी कार्य अकेले राज्य सरकार अपने बलबूते पर नही कर सकती है, इसके लिए केन्द्र सरकार को राजस्थान की विशेष मदद करनी पड़ेगी।
उन्होंने बताया कि राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना की नहरों में पंजाब से औद्योगिक प्रदूषण युक्त गंदा पानी छोड़े जाने से श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ अदि क्षेत्रों के लोगों को कई असाध्य बीमारियाँ  हो रही है और वहां की रेलगाड़ियों को ’केंसर-ट्रैन‘ तक कहा जाने लगा है। मुख्यमंत्राी श्रीमती वसंुधरा राजे ने जल प्रदूषण की समस्या को प्रधानमंत्राी और पंजाब के मुख्यमंत्राी के समक्ष जोरदार ढंग से उठाया है। साथ ही पंजाब सरकार से रावी-व्यास नहरों में प्रदूषित पानी नही छोड़ने का आग्रह भी किया गया है।
अन्तर्राज्जीय समझौते पूर्ण-रूपेण लागू नही हुए
श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि राजस्थान, अन्तर्राज्जीय जल समझौतों के पूर्णरूपेण लागू नहीे होने की पीड़ा भी झेल रहा है। यदि रावी-व्यास और यमुना जल आदि में राज्य को अपने हक का पूरा पानी मिलने लगे तो रेगिस्तान प्रधान इस प्रदेश में पेयजल और सिंचाई की समस्याओं को एक हद तक पूरा करने में सफलता मिल सकती है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में भूमिगत और सतही जल की समस्या इतनी अधिक विकट है कि प्रदेश के 25 ब्लॉक्स को छोड़ कर अन्य सभी ब्लॉक्स ’डॉर्क-जोन‘ में आ गये है। मानसून की कम वर्षा के कारण भूजल एवं सतही जल पुनर्भरण नही होने से समस्या और भी अधिक गहरी हो जाती है। राज्य के कई इलाकों से भी जलापूर्ति करनी पड़ती है।
नर्मदा परियोजना के विस्तार के लिए मदद चाहिए
श्रीमती माहेश्वरी ने चौधरी वीरेन्द्र सिंह को बताया कि राज्य सरकार गुजरात के रास्ते राज्य के जालौर, बाड़मेर आदि जिलों को मिले नर्मदा एंव माही के जल का अधिकाधिक सदुपयोग करने के लिए फव्वारा (स्प्रिीगंलर) सिंचाई और नहरों के नेटवर्क की परियोजना का विस्तार करने की इच्छुक है, लेकिन इसके लिए केन्द्रीय सहायता की आवश्यकता है।
साबरबती बेसिन के पानी को बचाने-जवाई बांध का सुदृढ़ीकरण जरूरी
श्रीमती माहेश्वरी और पाली के सांसद श्री पी.पी. चौधरी ने केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्राी का ध्यान साबरमती का पानी व्यर्थ बहकर समुद्र में जाने की ओर भी दिलवाया और सुझाव दिया कि पश्चिम राजस्थान के सबसे बड़े बांध जवाई बांध का सुदृढ़ीकरण करने के लिए केन्द्र सरकार मदद करे। एक समय राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर को पेयजल आपूर्ति करने वाले इस बांध का जीर्णोद्धार, पुनरूद्धार एवं नहरी तंत्रा का सशक्तीकरण होने पर दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों को इसका लाभ मिलने लगेगा और पेयजल एवं सिचाई के लिए यह एक बड़ा वैकल्पिक स्त्रोत भी साबित हो सकेगा।
मुलाकात में श्रीमती माहेश्वरी ने इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान को पेयजल की दृष्टि से विशेष दर्जा की मांग करते हुए प्रतिवर्ष 7275 करोड़ रूपये के हिसाब से दस वर्षों के लिए 72 हजार 750 करोड़ रूपये का विशेष पैकेज देने का आग्रह भी किया।
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