‘प्रेस्टीट्यूट’ कह कर फंसे वीके सिंह

V K Singhट्विटर पर हैशटैग ‘प्रेस्टीट्यूट’ लगातार ट्रेंड कर रहा है. भारत के विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने अपने एक ट्वीट में इस शब्द का इस्तेमाल किया था. ये शब्द अंग्रेज़ी के दो शब्दों प्रेस और प्रॉस्टीट्यूट (वेश्या) को मिलाकर बना है और इस शब्द के ज़रिए वीके सिंह भारतीय मीडिया को बिकाऊ बताने की कोशिश कर रहे थे.
वीके सिंह ने ट्वीट किया था, “दोस्तों आप प्रेस्टीट्यूट से और उम्मीद भी क्या कर सकते हैं.”
दरअसल, वीके सिंह यमन से भारतीयों को सुरक्षित निकालने वाले मिशन की अगुआई कर रहे हैं.
उन्होंने वहां एजेंसियों से बातचीत के दौरान कहा था, “यमन से भारतीयों को निकालने का मिशन, दिल्ली में पाकिस्तान दूतावास के भोज में जाने से कम रोमांचक है.”
प्रेस्टीट्यूट वाली टिप्पणी पर विपक्षी कांग्रेस ने वीके सिंह की तीखी आलोचना की है जबकि ट्विटर पर लोग दो खेमों में बंटे नज़र आते हैं.

पिछले दिनों पाकिस्तान दिवस पर वीके सिंह के पाकिस्तान दूतावास जाने का मुद्दा मीडिया में गर्मा गया था. वीके सिंह ने उसी ओर अपने बयान में इशारा किया.
जनरल वीके सिंह के इस बयान के बाद कई टीवी चैनलों ने उनकी आलोचना की थी. उसी के बाद वीके सिंह ने ये ट्वीट किया.
उनके ट्वीट के बाद ##Presstitutes ट्रेंड करने लगा, ज़्यादातर लोग उनके बयान से सहमति जता रहे हैं.
सचिन वैद्य ने वीके सिंह से सहमति जताते हुआ लिखा, “मीडिया को आत्म मंथन करने की ज़रूरत है. लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ढह रहा है.”
गौतम लिखते हैं, “जनरल वीके सिंह का पाकिस्तान दूतावास में 10 मिनट की मौजूदगी पर मीडिया ने इतनी हाय-तौबा मचाई और यमन में भारतीय नागरिकों को निकालने के जिस काम में वो जुटे हुए हैं उसे मीडिया ज़रा भी तवज्जो नहीं दे रहा है.”
रमेश भट्ट ने लिखा, “जनरल वीके सिंह. प्रेस्टीट्यूट के सामने झुकने की कोई ज़रूरत नहीं. अपना सर गर्व से उंचा रखिए. हमें आप पर गर्व है.”
लेकिन वीके सिंह के इस बयान के लिए उनकी आलोचना भी हो रही है.
पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, “जनरल वीके सिंह ने जो कहा वो बेहद निंदनीय है. उसकी कड़े शब्दों में आलोचना की जानी चाहिए.”
वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने ट्वीट किया, “हम पत्रकार व्यक्तिगत तौर पर गाली खाने के आदी हैं और अपनी मोटी चमड़ी से इन गालियों के वार को झेल सकते हैं लेकिन संस्थाओं की तरफ़ से इस तरह के आरोप बेहद भड़काऊ और फ़ासीवादी हैं.”

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