कांग्रेस उपाध्यक्ष किसानों और मध्यम वर्ग से जुड़े मुद्दों को उठाने के बाद अब पूर्व सैनिकों के मसले पर केंद्र सरकार को घेरेंगे। उन्होंने शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय पर पूर्व सैनिकों के समूह से मुलाकात के बाद केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह अपने वादे पूरा करने से मुकर रही है। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार पर दबाव बनाया जाएगा कि वह वन रैंक वन पेंशन पर अपने वादे को पूरा करे।
पूर्व सैनिकों के करीब 130 प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि केंद्र सरकार पूर्व सैनिकों की इस लंबी मांग पर ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में निर्णय यूपीए सरकार पहले ही ले चुकी थी और चुनाव के बाद केंद्र में आई मोदी सरकार को इसके क्रियान्वयन के बारे में ही फैसला करना था लेकिन सरकार इस मुद्दे पर चुप है।
उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील मसला है और इसके लिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि संप्रग सरकार ने इस योजना को शुरू करने का फैसला लिया था और इसके लिए पैसा भी आवंटित कर दिया था।
मुलाकात के बाद एक पूर्व सैनिक ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी मांग को पूरा करने के लिए सरकार को मजबूर किया जाएगा। एक अन्य पूर्व सैनिक ने कहा कि यूपीए सरकार ने उनकी मांग पर ध्यान दिया था और इसके लिए पांच सौ करोड रुपए भी आवंटित कर दिए थे। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिक अपनी मांग के समर्थन में देश के विभिन्न हिस्सों में आंदोलन करेंगे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय जनता पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद सितंबर 2013 में अपनी पहली आम सभा में इस योजना को क्रियान्वित करने का आश्वासन दिया था। पूर्व सैनिकों का आरोप है कि मोदी सत्ता में आने के बाद अपने वादे से मुकर गए हैं।
क्या है वन रैंक वन पेंशन का मामला
वन रैंक वन पेंशन के तहत उन पूर्व सैनिकों को समान पेंशन देने की बात है जिन्हें समान रैंक होने के बावजूद पहले रिटायर होने की वजह से कम पेंशन मिलती हे। जबकि बाद में रिटायर होने वाले उनकी रैंक के अन्य सैनिकों या अधिकारियों को वेतन आयोग की सिफारिशों से बढ़े वेतनमान की वजह से ज्यादा पेंशन दी जाती है। पूर्व अधिकारियों का कहना है कि यह पहले रिटायर हुए सैनिकों अधिकारियों का अपमान है।