मनमोहन के इस्तीफ़े की मांग पर अडिग: सुषमा

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा है कि कोयला खदान घोटाला मामले में भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफ़े की मांग पर अडिग है और उससे पीछे हटने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है.

मुंबई में एक प्रेस कांफ़्रेस के दौरान सुषमा स्वराज ने कहा कि बीजेपी इस मामले पर कांग्रेस पार्टी पर दबाव बनाए रखेगी.

उन्होंने साफ़ किया कि अगर मनमोहन सिंह सरकार कोयला ब्लाकों के आवंटन को रद्द नहीं करती और एक ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के आदेश नहीं देती है’तो बीजेपी संसद के मानसून सत्र के ख़त्म होने के बाद देश-व्यापी आंदोलन शुरू करेगी.

सुषमा स्वराज का कहना था कि उन्होंने पार्टी की ओर से आवंटन रद्द किए जाने और जांच की मांग कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फ़ोन पर हुई बातचीत के दौरान उठाई थी.

सोनिया गांधी ने संसद सत्र में लगातार आ रही बाधा को समाप्त करने के इरादे से विपक्ष की नेता को फ़ोन किया था.

सुषमा स्वराज का कहना था कि अभी तक कांग्रेस ने दोनों मांगों पर अपना रूख़ साफ़ नहीं किया है.

रूख़

प्रेस कांफ्रेस के दौरान उन्होंने कहा कि मीडिया में कुछ जगहों पर कहा गया है कि बीजेपी ने मनमोहन सिंह के इस्तीफ़े की मांग पर अपने रूख़ को थोड़ा नर्म कर दिया है लेकिन ये सच नहीं है.

विपक्ष की नेता का कहना था कि उन्होंने पार्टी की ओर से दोनों शर्तें भी संसद को सुचारू रूप से चलने देने की बात पर कही थी और उससे प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की मांग में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है.

उनका कहना था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला हो, हवाई जहाज़ ख़रीदा का मामला या यहां तक की मंहगाई कांग्रेस सबका ठीकरा सहयोगी दलों के सर फोड़ती रही है लेकिन कोयला मंत्रालय साल 2004 से ही कांग्रेस पार्टी के पास रहा है, और वो भी काफ़ी समय तक प्रधानमंत्री के पास, इसलिए इस पूरे मामले की ज़िम्मेदारी मनमोहन सिंह की है.

सुषमा स्वराज का कहना था कि मनमोहन सिंह को नैतिक ज़िम्मेदारी क़बूल करते हुए त्यागपत्र देना चाहिए.

142 कोयला ब्लॉक

उनका कहना था कि कोयला खदान के लिए नई नीति जिसमें नीलामी के ज़रिए आवंटन किया जाना था, साल 2004 से जारी है, लेकिन मनमोहन सिंह सरकार ने इसकी अधिसूचना अब जाकर जारी की है.

उन्होंने कहा कि जहां पूर्व की सरकारों ने 12 सालों के दौरान सिर्फ़ 70 कोयला ब्लॉकों का आवंटन किया था वहां कांग्रेस सरकार ने चार सालों में 142 ब्लॉक कंपनियों के हवाले किए.

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोयला आवंटन में नीलामी न होने से राजस्व को 1.86 हज़ार करोड़ रूपयों का नुक़सान हुआ है.

 

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