विकास की गति पर बना या बनाया गया गति अवरोध ?

कलेक्ट्रर स्वतंत्र कुमार के स्थानांतरण से उपज रहे प्रश्र
coll.-14– डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव- दमोह/ क्या विकास की गति को रोकने के लिये गति अवरोध बना या फिर बना दिया गया यह प्रश्र इस समय जिले के हर दूसरे व्यक्ति के मुंह से सुना जा सकता है? प्रश्र उठे भी क्यों न जब अचानक एक एैसे अधिकारी का स्थानांतरण हो जाये जिसके संकल्प एवं विशेष प्रयास से जिला विकास की नई ईबारत लिखने जा रहा हो? जिसके प्रयास से दशकों से शहर में व्याप्त जल संकट का समाधान मात्र 90 दिन में हो गया हो। जिसके प्रयास से नगर में सोन्र्दयकरण की अलग छटा बिखरने लगी हो? जिसके विशेष प्रयासों से पर्यटन,पुरातत्व के क्षेत्र में एक अलग स्थान बनने जा रहा हो? जो दिन-रात सिर्फ इसी प्रयास में लगा रहा हो कि जिले के लिये कितना अधिक से अधिक कर दूं? जिसके द्वारा जिले का नाम विश्व स्तर पर सबसे बडी वाल पेंटिंग बनवाकर दर्ज कराने में सक्रिय भूमिका रही हो? जनता की सेवा के जिस संकल्प को लेकर उसने भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपनी सेवायें देने अपना जीवन समर्पित किया हो। एैसे कर्मठ,समर्पित अधिकारी का उस समय स्थानांतरण हो जिस समय जिले में विकास के कार्य अपने अंतिम चरण में हों तो प्रश्र उठना तो लाजमी हैं? मित्रों हम बात कर रहे हैं जिले में लम्बे समय से विकास की गंगा को बहाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कलेक्ट्रर स्वतंत्र कुमार सिंह की जो वर्तमान में प्रदेश के मंदसौर में अपनी सेवायें दे रहे हैं। एैसा क्यों हुआ,किसने किया,क्यों किया ,किसको लाभ पहुंचाने के लिये किया यह प्रश्र लगातार उपज रहे हैं शायद उपजते रहेंगे? निश्चित रूप से शहर के विकास एवं सौन्र्दय के साथ मातृ-भूमि के लिये समर्पित लोग दुखी एवं अतिक्रमणकारी प्रसन्न दिखलायी देने की चर्चा इस समय जमेकर है?
उपजते प्रश्र-
मित्रो अगर कलेक्ट्रर स्वतंत्र कुमार सिंह के आदेश पर नजर डालें तो निश्चित रूप से कम से कम यह बात तो गलत साबित हो जायेगी कि चुनाव आयोग के निर्देश पर इनका स्थानांतरण किया गया? सवाल उठ रहे हैं कि क्या किसी राजनीति या जाति विशेष के छल का परिणाम तो नहीं है? सूत्रों एवं जनता में चल रही चर्चाओं पर नजर डालें तो जिस गति से विकास के कार्य प्रारंभ किये गये और आगे बढे उससे प्रदेश के कदवर मंत्री का कद छोटा होने लगा था और कलेक्ट्रर श्री सिंह का उंचा? जबकि जानकारों की माने तो नेता एवं अधिकारी दोनो का एक ही उद्ेश्य होता है जनता की सेवा उसके लिये सदैव कार्य करना। परन्तु यहां मायने क्यों बदले यह प्रश्न भी जमकर चर्चाओं में बना हुआ है। प्रश्र तो यहां तक उपजते सुने जा सकते हैं कि क्या प्रदेश के मुखिया की भी इसमें मौन सहमति है? चर्चा तो यहां तक सुनी जा रही है कि शहर को सुन्दर एवं जहां बिना भेदभाव के आगे कदम बढाया जा रहा था तो उसमें एक जाति विशेष के लोगों ने अवरोध डालने का कार्य प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से किया? परिणाम यह हुआ कि मंदिरों,देवालयों एवं हिन्दुओं के निवासों को अतिक्रमण के दायरे में बतलाकर उन्हे ध्वस्त करने में जहां कोई कोर कसर नहीं छोडी गयी तो वहीं जाति विशेष को छूट मिलने से जनता में आक्रोश एवं प्रश्र उपजने लगे? महत्वपूर्ण बात यह है कि जहां मंदिरों,देवालयों एवं हिन्दुओं के मकानों को पूर्ण रूप से अतिक्रमण मान उन्हे हटा दिया गया। वहीं एक जाति विशेष के लोगों के जिनके अतिक्रमण 10 से 15 फुट तक होने की बात संबधित विभाग के अधिकारी मान चुके हैं उनको छुट देते हुये 3 से 5 फुट छोडने का आग्रह किया गया? प्रश्र उठता है कि आखिर प्रशासन को किसके कारण गिडगिडाना पडा और किसकी शह पर यह जाति विशेष के लोग दंभ भरते रहे? जिसकी जन चर्चा इस समय लगातार सुनी जा रही है।
स्वतंत्र की स्वतंत्र छबि और कार्य-
कलेक्ट्रर स्वतंत्र कुमार सिंह की छबि कोई अचानक ही सकारात्मक नहीं बन गयी या फिर उन्हे विरासत में यह सब मिला? जिले में पदस्थ होते ही उन्हे क्या मिला था यह किसी से छिपा नहीं है। उनके पास थे
तो परिवार के संस्कार एवं देश भक्ति का जजबा जिसको लेकर वह आगे बढे और देखते ही देखते वह कर दिखलाया जिसके कारण आज जिले वासी उनको इतने अल्प समय में अपना समझने लगे।
बुझाई शहर की प्यास-शिव का लिया आशीष-
शहर में गंगा लाने के साथ ही अब शिव की शरण में स्वतंत्र जी हां यह कोई कहानी नहीं अपितु जनता के सामने सच होते वह सपना है जिस कल्पना को साकार करने में दिन रात कलेक्ट्रर स्वतंत्र कुमार सिंह लगे दिखलायी दे रहे हैं। जल संकट की दस्तक के पूर्व सचेत और उसका हल करने के लिये जनता के मध्य कुछ इस प्रकार का संदेश कि ‘में हुं नÓ को लेकर प्रारंभ किया गया जुझार घाट से पानी लाने का मिशन 100 डे का शुभारंभ किया। यहां इस बात का उल्लेख कर देना आवश्यक हो जाता है कि यह नगरी प्रदेश के कदवर मंत्री जयंत कुमार मलैया की है जहां दशकों से लोग पेयजल की समस्या से जूझ रहे थे।
ू्रमात्र 90 दिन इस समस्या के हल ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। दशकों से लगातार सूख रहे लोगों के कंठ अब तर होने लगे थे। वहीं अब वह भगवान औघढदानी जागेश्वर नाथ की नगरी को विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अंकित करने के लिये जुट गये । श्री जागेश्वर नाथ जी मंदिर बांदकपुर के परिसर को आधुनिक रूप से विकसित किया ेकरने का बीडा इन्होने उठाया और इसी समय देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा के अनुरूप क्षेत्रीय सांसद प्रहलाद पटैल ने सांसद ग्राम इसको घोषित कर दिया। मंदिर परिसर को इस तरह से विकसित करने की योजना पर कार्य प्रारंभ कराया गया कि पर्यटक श्रृद्धालु भगवान जी के दर्शन कर परिवार सहित आर्कषक पार्क-आर्गनिक फार्म, आधुनिक पार्क, डेरी फार्म, गार्डन, औषधीय पौधे, म्यूजिकल फाउटेंन का आनंद उठा सके।
Dr.Laxmi Narayan Vaishnava

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